सरकारी नौकरी का झांसा देकर फर्जी नियुक्ति पत्र देने वाला आरोपी 4 साल की जेल भेजा
बेरोजगार युवकों को सरकारी नौकरी दिलाने का लालच देकर फर्जी नियुक्ति पत्र थमाने के मामले में राजधानी के आठवें अपर सत्र न्यायाधीश विवेक सक्सेना के न्यायालय ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। अदालत ने मुख्य आरोपी शैलेंद्र यादव को दोषी मानते हुए चार वर्ष का कारावास और 7,000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। वहीं, अपर्याप्त साक्ष्यों के कारण मामले के चार अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया।
मामले की पृष्ठभूमि
अभियोजन के अनुसार, शैलेंद्र यादव और उसके साथियों पर आरोप था कि उन्होंने कई बेरोजगार युवकों को सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का भरोसा दिलाया। इस भरोसे के बदले उनसे मोटी रकम ली गई और फिर उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र थमाकर ठग लिया गया। पीड़ित युवकों ने जब नियुक्ति पत्र की सत्यता जांची, तो मामला फर्जी निकला।
जांच और सुनवाई
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और आरोपी शैलेंद्र यादव को गिरफ्तार किया। जांच में यह साबित हुआ कि नियुक्ति पत्र पूरी तरह से जाली थे और किसी भी सरकारी विभाग ने इन्हें जारी नहीं किया था। हालांकि, शैलेंद्र के चार सहआरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं हो पाए, जिसके चलते उन्हें बरी कर दिया गया।
अदालत का फैसला
न्यायालय ने शैलेंद्र यादव को चार साल के सश्रम कारावास के साथ सात हजार रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया। अर्थदंड न देने पर उसे अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बेरोजगार युवकों की मजबूरी का फायदा उठाना एक गंभीर अपराध है, जो न केवल व्यक्तिगत हानि पहुंचाता है बल्कि समाज के भरोसे को भी तोड़ता है।

