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इंदौर में बाबूलाल बाहेती के नाम पर मुख्य मार्ग का नामकरण, मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने की घोषणा

इंदौर में बाबूलाल बाहेती के नाम पर मुख्य मार्ग का नामकरण, मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने की घोषणा

रविवार को इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने एक समारोह में शहर के अग्रणी समाजसेवी स्व. बाबूलाल बाहेती के सम्मान में शहर के एक प्रमुख मार्ग बड़े गणपति से महू नाका तक का नामकरण उनके नाम पर किया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में समाज के विभिन्न वर्गों के लोग उपस्थित थे और बाबूलाल बाहेती की जीवनयात्रा और योगदान को याद किया गया।

बाबूलाल बाहेती का योगदान

बाबूलाल बाहेती, जिन्हें इंदौर में काका साहब के नाम से जाना जाता था, समाज सेवा के क्षेत्र में एक महान व्यक्तित्व के रूप में माने जाते थे। वे राजनीति से दूर रहते हुए भी राजनीतिज्ञों से दोस्ती रखते थे और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान से हमेशा जुड़े रहते थे।

काका साहब का सेवाभाव और समर्पण उनके जीवन का आधार था, जिसे उन्होंने हमेशा दूसरों के भले के लिए समर्पित किया। वे इंदौर शहर के समीप स्थित पिवड़ाय गांव से आए थे, जहां से आकर उन्होंने इंदौर में अपनी पहचान बनाई और अपनी समाजसेवी गतिविधियों के माध्यम से शैक्षिक, धार्मिक, और पारमार्थिक सेवाएं दीं।

बाबूलाल जी पाटोदी और बाबूलाल जी बाहेती: अभिन्न मित्र

इंदौर में बाबूलाल जी का नाम लेते ही दो व्यक्ति स्मरण होते हैं — एक बाबूलाल जी पाटोदी और दूसरे बाबूलाल जी बाहेती। दोनों अभिन्न मित्र थे और दोनों का कार्यक्षेत्र भी काफी हद तक एक समान था। जबकि बाबूलाल जी पाटोदी का योगदान अलग था, बाबूलाल जी बाहेती ने शहर में समाज सेवा की दिशा में अपना जीवन समर्पित किया और इंदौर को एक नई दिशा दी।

समाज सेवा का मॉडल

बाबूलाल बाहेती की कर्मठता और समाज के प्रति उनकी सेवा ने इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में अनगिनत लोगों के जीवन को प्रभावित किया। वे उन लोगों में से थे, जिन्होंने शहर में कई शैक्षिक संस्थानों, धार्मिक स्थलों, और पारमार्थिक संगठनों की नींव रखी, जिनसे आज भी लोगों को लाभ हो रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • इंदौर में बाबूलाल बाहेती के नाम पर प्रमुख मार्ग का नामकरण

  • काका साहब के रूप में प्रसिद्ध बाबूलाल बाहेती का समाज सेवा में योगदान

  • बाबूलाल जी पाटोदी और बाबूलाल जी बाहेती थे अभिन्न मित्र

  • पिवड़ाय गांव से आकर इंदौर में सेवा कार्यों में अपनी पहचान बनाई

  • उनके शैक्षिक, धार्मिक और पारमार्थिक कार्य से इंदौर को मिली नई दिशा

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