देश के सबसे स्वच्छ शहर का ताज एक बार फिर इंदौर ने अपने सिर पर सजा लिया है। यह कारनामा कोई संयोग नहीं, बल्कि आठ साल पहले लिए गए एक ठोस संकल्प और जनभागीदारी का परिणाम है। जब देश में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत हुई, तब इंदौर ने भी अपने स्तर पर एक क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत की थी — सड़क किनारे के कचरे के ढेर हटाना और हर घर से गीला व सूखा कचरा अलग-अलग लेना।
स्रोत पर कचरा पृथक्करण बना सफलता की नींव
इंदौर नगर निगम ने सोर्स सेग्रिगेशन (Source Segregation) यानी हर घर से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग इकट्ठा करने की व्यवस्था शुरू की। शुरुआत में यह चुनौतीपूर्ण लगा, लेकिन जब शहरवासियों ने भी इसमें योगदान देना शुरू किया और अपने घरों में दो अलग डिब्बे रखे, तो ये आदत बन गई। यही आदत आज इंदौर की सात बार की स्वच्छता रैंकिंग में नंबर-1 स्थिति की नींव बनी।
कचरा पेटियां हटाई, साफ-सफाई की संस्कृति अपनाई
इंदौर ने सड़क किनारे से कचरे की पारंपरिक पेटियों को हटाकर पूरे शहर को साफ-सुथरा रखने की दिशा में काम किया। इससे न केवल बदबू और गंदगी कम हुई, बल्कि लोगों में सार्वजनिक स्थानों को स्वच्छ रखने की भावना भी मजबूत हुई।
आठवीं बार भी सबसे आगे
इस वर्ष जब स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 की सुपर लीग में इंदौर ने आठवीं बार जगह बनाई, तो भी उसने देश के सभी शहरों को पीछे छोड़ दिया। यह दर्शाता है कि इंदौर की स्वच्छता सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि एक निरंतर चलने वाली आदत बन चुकी है।

