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इंदौर में 28 वर्षीय पुलिस सिपाही ने खुद को मारी गोली, आत्महत्या से हड़कंप

इंदौर में 28 वर्षीय पुलिस सिपाही ने खुद को मारी गोली, आत्महत्या से हड़कंप

मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से एक बेहद चौंकाने वाली खबर सामने आई है। द्वारिकापुरी थाना क्षेत्र में शुक्रवार तड़के पुलिस विभाग में तैनात 28 वर्षीय सिपाही अनुराग भागोर ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह दर्दनाक घटना दिग्विजय मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के एक फ्लैट में सुबह लगभग 5 बजे के आसपास घटी।

साथी सिपाही मोहित था मौके पर मौजूद

घटना के वक्त अनुराग के साथ उसी फ्लैट में सिपाही मोहित भी मौजूद था। मोहित के अनुसार, अनुराग बीते कुछ दिनों से तनाव में था और ड्यूटी के दौरान भी फोन कॉल्स रिसीव नहीं कर रहा था। शुक्रवार तड़के जब उसने खुद को गोली मारी, तो मोहित पूरी तरह सकते में आ गया और तत्काल इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी।

पुलिस और एफएसएल की टीम मौके पर पहुंची

सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस, फॉरेंसिक टीम और वरिष्ठ अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। पुलिस ने घटनास्थल से हथियार जब्त कर लिया है, और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया है। आत्महत्या के कारणों की जांच की जा रही है।

अनुराग भागोर का प्रोफाइल

अनुराग भागोर की उम्र महज 28 वर्ष थी और वह मध्यप्रदेश पुलिस विभाग में बतौर सिपाही कार्यरत था। वह ड्यूटी के साथ-साथ किराए के फ्लैट में रहता था। उसके करीबी बताते हैं कि वह शांत और जिम्मेदार अधिकारी था, लेकिन हाल के दिनों में वह अंदर से परेशान नजर आ रहा था।

आत्महत्या का कारण अभी स्पष्ट नहीं

फिलहाल पुलिस के अनुसार, आत्महत्या के पीछे क्या कारण था, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। हालांकि प्रारंभिक जांच में मानसिक तनाव या व्यक्तिगत समस्याओं की आशंका जताई जा रही है। पुलिस अनुराग के मोबाइल फोन, ड्यूटी रिकॉर्ड और निजी जीवन से जुड़े पहलुओं की गहनता से जांच कर रही है।

साथी जवानों और परिवार में शोक की लहर

इस घटना से पुलिस महकमे में शोक की लहर दौड़ गई है। जवानों के अनुसार, अनुराग हमेशा अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहता था और कभी ऐसा कदम उठाने की बात नहीं करता था। वहीं, परिवार को जैसे ही खबर मिली, वो सदमे में आ गए और तुरंत इंदौर के लिए रवाना हो गए।

पुलिस महकमे में बढ़ता तनाव चिंता का विषय

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वर्दी के पीछे छिपे जवानों का मानसिक स्वास्थ्य अनदेखा किया जा रहा है? लगातार ड्यूटी, निजी जीवन में दबाव और विभागीय तनाव अक्सर जवानों को अवसाद और आत्मघाती कदम उठाने की कगार तक पहुंचा देता है।

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