प्रमोशन में आरक्षण नीति पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब, फिलहाल रोक की चेतावनी
प्रमोशन में आरक्षण (Reservation in Promotion) की राह देख रहे सरकारी कर्मचारियों को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने राज्य सरकार की नई आरक्षण नीति पर सवाल खड़े करते हुए सरकार से जवाब मांगा है।
कोर्ट ने पूछा कि जब प्रमोशन में आरक्षण से जुड़ा मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो सरकार ने समान प्रकृति की नई नीति क्यों लागू की? पीठ ने मौखिक रूप से यह स्पष्ट किया कि जब तक सरकार से संतोषजनक जवाब नहीं मिलता, कोई कार्रवाई न की जाए, अन्यथा अंतरिम आदेश जारी किया जाएगा।
इस पर राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने अदालत को अंडरटेकिंग (प्रतिश्रुति) दी कि अगली सुनवाई तक और जब तक सरकार अपना जवाब दाखिल नहीं करती, प्रमोशन प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
पृष्ठभूमि:
राज्य सरकार ने हाल ही में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर एक नई नीति लागू की, जिसका कुछ कर्मचारी संगठनों और याचिकाकर्ताओं ने विरोध करते हुए इसे कोर्ट में चुनौती दी। उनका कहना था कि यह नीति संविधान व उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ है।
अब आगे क्या?
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सरकार को अगली सुनवाई से पहले कोर्ट में विस्तृत जवाब दाखिल करना होगा।
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तब तक प्रमोशन में आरक्षण पर अमल नहीं होगा।
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कोर्ट की अगली टिप्पणी और आदेश इस मामले की दिशा तय करेंगे।

