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गढ़ाकोटा में 27 जून को भव्य रथयात्रा, ढाई सौ वर्षों से जीवित है धार्मिक परंपरा

गढ़ाकोटा में 27 जून को भव्य रथयात्रा, ढाई सौ वर्षों से जीवित है धार्मिक परंपरा

मध्य प्रदेश के गढ़ाकोटा में हर वर्ष आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ स्वामी, श्री बलराम भैया और बहन सुभद्रा की पावन रथयात्रा पूरी भव्यता के साथ निकाली जाती है। यह धार्मिक परंपरा बीते ढाई सौ वर्षों से भी अधिक समय से अनवरत रूप से आयोजित की जा रही है, और इस बार यह रथयात्रा 27 जून को निकाली जाएगी।

गढ़ाकोटा की यह रथयात्रा न केवल स्थानीय निवासियों के लिए बल्कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो श्रद्धालु उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल नहीं हो पाते, वे गढ़ाकोटा आकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। यह रथयात्रा धार्मिक आस्था, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है।

रथयात्रा की शुरुआत सिद्ध क्षेत्र पटेरिया जी से हुई थी, जो आज भी श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल है। प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस आयोजन में भाग लेते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस धार्मिक आयोजन का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे को भी मजबूत करने के रूप में देखा जाता है।

गणेश, लक्ष्मी, और अन्य देवी-देवताओं के साथ भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की भव्यता इस अवसर को और भी विशेष बना देती है। रथयात्रा के दौरान श्रद्धालु भक्तिभाव से रथ खींचते हैं, वहीं संगीत और ध्वनि के साथ वातावरण पूरी तरह से धार्मिक उत्सव से भर जाता है। इस रथयात्रा के आयोजन में स्थानीय लोगों के अलावा बाहरी राज्यों से भी लोग आते हैं।

इस बार 27 जून को आयोजित होने वाली रथयात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना जताई जा रही है। प्रशासन और धार्मिक संगठनों ने इस आयोजन की पूरी तैयारी की है, ताकि यह यात्रा शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रूप से संपन्न हो सके।

गढ़ाकोटा की रथयात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा को भी जीवित रखे हुए है। यह आयोजन हर साल श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बनता है, और उनकी आस्थाओं को नया जीवन प्रदान करता है।

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