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मध्यप्रदेश में खुलेंगे 'बिजली थाने', पहली बार ऊर्जा विभाग को मिलेगा अलग सुरक्षा तंत्र — भोपाल, इंदौर समेत 6 शहरों से होगी शुरुआत

मध्यप्रदेश में खुलेंगे 'बिजली थाने', पहली बार ऊर्जा विभाग को मिलेगा अलग सुरक्षा तंत्र — भोपाल, इंदौर समेत 6 शहरों से होगी शुरुआत

बिजली चोरी, बकाया वसूली में बाधा और विभागीय अधिकारियों पर हमलों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। राज्य में अब जल्द ही ‘बिजली थाने’ (Electric Police Stations) खोले जाएंगे। इसकी शुरुआत प्रदेश के छह बड़े शहरों — भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और रीवा से की जाएगी, जबकि अगले चरण में अन्य जिलों में भी इन थानों की स्थापना की जाएगी।

क्या होंगे बिजली थानों के कार्य?

इन थानों की स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य है — बिजली विभाग की संपत्ति की सुरक्षा, बिजली चोरी पर रोक और बकाया वसूली में मदद।
बिजली थानों के अंतर्गत अमले को निम्न कार्य सौंपे जाएंगे:

  • औचक निरीक्षण में कर्मचारियों को सुरक्षा मुहैया कराना

  • बिजली चोरी या राजस्व हानि के मामलों में एफआईआर दर्ज करना

  • विद्युत अधिनियम के तहत केस डायरी तैयार करना

  • अदालती कार्यवाही का अवलोकन और समन्वय

  • डिस्कॉम की परिसंपत्तियों की रक्षा में सक्रिय भूमिका

  • बकाया वसूली में फील्ड अमले के साथ मिलकर कार्रवाई करना

👮‍♂️ थानों में तैनात होगा विशेष पुलिस अमला

हर बिजली थाने में एक पुलिस निरीक्षक (इंस्पेक्टर) रैंक का अधिकारी, सब-इंस्पेक्टर और कांस्टेबलों की तैनाती की जाएगी। इन पुलिस थानों को सीधे ऊर्जा विभाग और स्थानीय डिस्कॉम के अधिकारियों से समन्वय में रखा जाएगा।

इन थानों में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त पुलिस बल होगा जो विद्युत अधिनियम, अवैध कनेक्शन, चोरी, बिल भुगतान से जुड़े मामलों की कानूनी जानकारी और कार्रवाई की प्रक्रिया से भली-भांति परिचित होंगे।

🏛️ सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी सैद्धांतिक मंजूरी

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान इन बिजली थानों को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। बैठक में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि:

"राज्य में विद्युत क्षेत्र की सुरक्षा, विश्वसनीयता और कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए बिजली थानों की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम होगा।"

📊 बिजली चोरी से राज्य को भारी नुकसान

ऊर्जा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये की बिजली चोरी होती है। वहीं बकाया वसूली में भी कर्मचारियों को कई बार स्थानीय दबाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है।

बिजली थानों के गठन से यह उम्मीद की जा रही है कि

  • बिजली चोरी पर रोक लगेगी

  • कर्मचारियों को सुरक्षा मिलेगी

  • वसूली में तेजी आएगी

  • कानूनी कार्यवाही में पारदर्शिता बढ़ेगी

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