सरकारी लापरवाही से बुजुर्गों को नहीं मिल रहा ‘आयुष्मान’ का लाभ, जिले में लाखों पात्र वंचित

प्रधानमंत्री की बहुप्रचारित आयुष्मान भारत योजना का लाभ जिले के लाखों पात्र लोगों, खासकर बुजुर्गों तक अब तक नहीं पहुंच सका है। सरकारी तंत्र की सुस्ती और लापरवाही के कारण यह जनकल्याणकारी योजना सिर्फ आंकड़ों तक सिमटती नजर आ रही है।
बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी
स्वास्थ्य सेवाओं के मोर्चे पर सबसे ज्यादा जरूरतमंद बुजुर्गों को योजना से जोड़ने की रफ्तार बेहद धीमी है। जिले में कुल 1,39,156 बुजुर्ग योजना के लिए पात्र हैं, लेकिन अब तक सिर्फ 41,450 बुजुर्गों के ही आयुष्मान कार्ड बन पाए हैं।
शेष 97,706 बुजुर्ग अभी भी इंतजार की कतार में हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों के हैं, जिन्हें योजना की प्रक्रिया की भी सही जानकारी नहीं दी गई है।
कुल आंकड़े भी चिंताजनक
जिला प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, 2,60,058 पात्र लाभार्थियों के आयुष्मान कार्ड अब तक नहीं बन सके हैं। इसका मतलब है कि हजारों परिवार अब भी गंभीर बीमारी की स्थिति में सरकारी इलाज सुविधा से वंचित हैं।
आदेशों के बाद भी नहीं दिखा असर
शासन ने कई बार जिला प्रशासन को सभी पात्र नागरिकों का आयुष्मान कार्ड बनाने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अमल न के बराबर हो पाया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने भी बार-बार इस मुद्दे को उठाया, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
क्या है समस्या की जड़?
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जनसेवा केंद्रों की संख्या सीमित और प्रक्रिया जटिल
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बुजुर्गों को जागरूक करने के लिए कोई विशेष अभियान नहीं
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गांवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और तकनीकी दिक्कतें
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अफसरशाही की धीमी गति और जवाबदेही का अभाव
लोगों की मांग
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि आयुष्मान योजना का लाभ सभी बुजुर्गों तक तुरंत पहुंचना चाहिए। इसके लिए डोर-टू-डोर अभियान, पंचायत स्तर पर विशेष शिविर और जनसेवा केंद्रों पर निगरानी तंत्र बनाना जरूरी है।