शहर की डबरा तहसील के देवगढ़ किले को लेकर एक विवाद सामने आया है। गढ़रियार राजवंश परिवार ने किले में पहले स्थापित दो तोपों को सेना से वापस मांगने की आधिकारिक मांग की है। परिवार का आरोप है कि इन तोपों को असंवैधानिक तरीके से हटाया गया।
राजवंश परिवार की शिकायत
गढ़रियार राजवंश की ओर से सेना के एडमिनिस्ट्रेटिव कमांडेंट को शिकायती पत्र लिखा गया है। पत्र में कहा गया है कि 2013 में किले की दीवार तोड़कर दो तोपें—वज्र और गढ़काली—ले जाई गईं। राजवंश परिवार ने इसे अपने सम्मान और ऐतिहासिक विरासत के खिलाफ अपमानजनक कदम बताया है।
तोपों का ऐतिहासिक महत्व
वज्र और गढ़काली तोपें केवल सैन्य उपकरण नहीं, बल्कि गढ़रियार राजवंश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा मानी जाती हैं। ये तोपें कई शताब्दियों से किले में स्थापित थीं और स्थानीय इतिहास में उनका विशेष महत्व रहा है।
परिवार की मांग
राजवंश परिवार ने पत्र में स्पष्ट किया कि तोपों की वापसी से न केवल परिवार की ऐतिहासिक प्रतिष्ठा की रक्षा होगी, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित किया जा सकेगा। परिवार ने सेना से अपील की है कि वे इन तोपों को सम्मानजनक तरीके से वापस करें और भविष्य में किसी भी ऐतिहासिक धरोहर को हटाने से पहले स्थानीय समुदाय और संबंधित परिवारों की सहमति ली जाए।
सेना की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई
इस मामले पर सेना ने अभी तक आधिकारिक बयान नहीं दिया है। अधिकारियों का कहना है कि शिकायत की जांच की जाएगी और दोनों पक्षों से विचार-विमर्श कर समाधान निकाला जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए संवेदनशील और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना बेहद जरूरी है।
स्थानीय और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
स्थानीय इतिहासकारों के अनुसार, देवगढ़ किला और उसकी तोपें ग्वालियर क्षेत्र के ऐतिहासिक गौरव का प्रतीक हैं। किसी भी तरह की कार्रवाई जो इस विरासत को नुकसान पहुंचाए, उसे लेकर स्थानीय लोगों में गहरी संवेदनशीलता है। इस मामले ने यह भी दर्शाया है कि सैन्य और सांस्कृतिक विरासत के बीच संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

