भोपाल जिला उपभोक्ता आयोग का महत्वपूर्ण निर्णय, बीमा कंपनी को सेकंड हैंड वाहन की बीमित राशि चुकाने का आदेश

भोपाल के जिला उपभोक्ता आयोग ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बीमा कंपनियों के खिलाफ उपभोक्ताओं के हक में एक अहम निर्णय सुनाया है। आयोग ने कहा कि बीमा कंपनी इस तर्क पर वाहन की बीमित राशि चुकाने से इन्कार नहीं कर सकती कि वाहन सेकंड हैंड है।
फैसला
इस फैसले के तहत, बीमा कंपनी को उपभोक्ता को पूरी बीमा राशि, जो कि 5 लाख 63 हजार रुपये थी, चुकाने का आदेश दिया गया। इसके साथ ही, बीमा कंपनी को हर्जाना भी देने का आदेश दिया गया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला एक उपभोक्ता का था, जिसने सेकंड हैंड वाहन को बीमा कराया था। दुर्घटना के बाद बीमा कंपनी ने यह तर्क देते हुए बीमित राशि चुकाने से इन्कार कर दिया था कि वाहन सेकंड हैंड था और इस कारण बीमा राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता।
आयोग का निर्णय
उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी के इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि बीमा पॉलिसी में सेकंड हैंड वाहन का विशेष रूप से कोई उल्लेख नहीं था, और न ही बीमा कंपनी को इस आधार पर राशि चुकाने से मना किया जा सकता है। आयोग ने स्पष्ट किया कि सेकंड हैंड वाहन को लेकर बीमा का दावा वैध होता है और बीमा कंपनी को पूरी राशि का भुगतान करना होगा।
हर्जाना का आदेश
आयोग ने बीमा कंपनी को हर्जाना देने का आदेश भी दिया, यह फैसला उपभोक्ता के मानसिक और शारीरिक कष्टों और नुकसान की भरपाई के तौर पर लिया गया।
मुख्य बिंदु:
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भोपाल जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को सेकंड हैंड वाहन की बीमित राशि चुकाने का आदेश दिया
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5 लाख 63 हजार रुपये की बीमा राशि उपभोक्ता को देने का आदेश
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बीमा कंपनी को हर्जाना देने का भी आदेश
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बीमा कंपनी का तर्क, सेकंड हैंड वाहन होने के कारण राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता था, खारिज