भोपाल कैबिनेट बैठक में 1000 करोड़ के कथित कमीशन घोटाले पर हंगामा, सीएम मोहन यादव ने दिए उच्चस्तरीय जांच के निर्देश

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक उस समय विवादों में घिर गई जब जल जीवन मिशन से जुड़े 1000 करोड़ रुपये के कथित कमीशन घोटाले का मामला सामने आया। इस मुद्दे पर बैठक के दौरान जोरदार हंगामा और तीखी बहस देखने को मिली।
प्रकरण में सबसे ज्यादा विवाद तब हुआ जब पता चला कि पीएचई मंत्री संपतिया उइके के खिलाफ एक अधीनस्थ अधिकारी ने जांच का आदेश जारी कर दिया था, जिसे लेकर कई मंत्रियों ने विरोध दर्ज कराया।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जताई नाराजगी
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए न केवल इस कथित घोटाले की गहराई से जांच के आदेश दिए, बल्कि यह भी सवाल उठाया कि
“कोई अधीनस्थ अधिकारी किसी मंत्री के खिलाफ जांच का आदेश कैसे दे सकता है?”
उन्होंने इस पर मुख्य सचिव से नाराजगी जताई और यह जानना चाहा कि
“इतनी बड़ी और गंभीर जानकारी उन्हें पहले क्यों नहीं दी गई?”
सीएम ने यह भी साफ कर दिया कि जांच प्रक्रिया में जो भी अधिकारी जिम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्या है जल जीवन मिशन का मामला?
जल जीवन मिशन, केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर तक नल से जल पहुंचाना है। इसमें हजारों करोड़ की परियोजनाएं चल रही हैं।
माना जा रहा है कि इस मिशन के तहत 1000 करोड़ रुपये के ठेके देने में कथित तौर पर भारी कमीशनखोरी और गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई हैं।
मंत्रियों ने जताई आपत्ति
कैबिनेट बैठक में कई मंत्रियों ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि
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अधीनस्थ अधिकारी द्वारा मंत्री के खिलाफ जांच आदेश देना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है।
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इससे राजनीतिक छवि और कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठते हैं।
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यह पूरे सरकार की गंभीरता और समन्वय पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
अब क्या होगा?
मुख्यमंत्री ने मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं, और यह निर्देश दिए कि:
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इस प्रकरण की पूर्ण पारदर्शिता से जांच की जाए।
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यदि किसी भी स्तर पर अनियमितता या भ्रष्टाचार पाया गया, तो किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा