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हेमंत खंडेलवाल के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों की शुरुआत, डॉ. रामकृष्ण कुसमारिया बने ओबीसी आयोग अध्यक्ष

हेमंत खंडेलवाल के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों की शुरुआत, डॉ. रामकृष्ण कुसमारिया बने ओबीसी आयोग अध्यक्ष

भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई में हेमंत खंडेलवाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के महज 21 दिन के भीतर ही पार्टी ने राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। बुधवार को राज्य सरकार ने डॉ. रामकृष्ण कुसमारिया को ओबीसी कल्याण आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया, जबकि मौसम बिसेन को आयोग का सदस्य बनाया गया है।

यह फैसला राजनीतिक गलियारों में इस बात के संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि पार्टी ने अब संगठनात्मक मजबूती के बाद सत्ता में भागीदारी देने की प्रक्रिया भी तेज कर दी है। खास बात यह है कि यह नियुक्ति हेमंत खंडेलवाल की प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के कुछ ही सप्ताह बाद हुई है, जिससे साफ है कि भाजपा अब एक तेज निर्णय लेने वाली कार्यशैली की ओर बढ़ रही है।

डॉ. रामकृष्ण कुसमारिया मध्य प्रदेश की राजनीति में एक वरिष्ठ और अनुभवी चेहरा हैं। वे कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और विभिन्न प्रशासनिक पदों पर उनका लंबा अनुभव है। ओबीसी वर्ग से आने वाले कुसमारिया की इस नियुक्ति को ओबीसी मतदाताओं को साधने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है, खासतौर पर उन इलाकों में जहां भाजपा को सामाजिक संतुलन बनाना है।

वहीं, मौसम बिसेन की नियुक्ति को युवा और महिला प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने के तौर पर देखा जा रहा है। बिसेन का नाम उन उभरते चेहरों में गिना जाता है, जिन्हें पार्टी संगठन के साथ-साथ नीति निर्धारण में भी मौका देना चाहती है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक यह सिर्फ शुरुआत है, आने वाले दिनों में कई और आयोगों, बोर्डों और निगमों में नियुक्तियों की सूची सामने आ सकती है। इससे उन नेताओं और कार्यकर्ताओं को सम्मान देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिन्होंने पार्टी के लिए ज़मीनी स्तर पर काम किया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने इस कदम के ज़रिए यह साफ संकेत दिया है कि 2026 की तैयारियों के तहत संगठन और सरकार दोनों में नवीन ऊर्जा और समीकरणों को संतुलित करने की नीति अपनाई जा रही है।

प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की नेतृत्वशैली को लेकर पार्टी के भीतर सकारात्मक प्रतिक्रिया है, और अब उनके कार्यकाल में पहली महत्वपूर्ण राजनीतिक नियुक्ति ने यह दिखा दिया है कि भाजपा संगठनात्मक बदलाव के साथ-साथ सत्ता के समीकरण भी दुरुस्त करने में जुटी है।

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