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एक साल से ड्यूटी पर नहीं आया एएसआई, फिर भी उठा रहा था हर महीने सैलरी, पीएचक्यू की चिट्ठी से खुला राज

एक साल से ड्यूटी पर नहीं आया एएसआई, फिर भी उठा रहा था हर महीने सैलरी, पीएचक्यू की चिट्ठी से खुला राज

मध्यप्रदेश पुलिस विभाग में लापरवाही और प्रशासनिक अनदेखी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सीहोर जिले में पदस्थ एक एएसआई (सहायक उप निरीक्षक) पिछले एक साल से ड्यूटी पर नहीं आया, लेकिन फिर भी हर महीने नियमित रूप से वेतन उठा रहा था। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब भोपाल स्थित पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) की शिकायत शाखा ने इस संबंध में सीहोर एसपी को एक पत्र लिखा

क्या है पूरा मामला?

मिली जानकारी के अनुसार, सीहोर जिले में तैनात एएसआई को करीब एक साल पहले भोपाल के पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) की शिकायत शाखा में अटैच किया गया था। प्रारंभ में उन्होंने पीएचक्यू में आमद दर्ज कराई, लेकिन इसके बाद से वे रिकार्ड से ही ‘गायब’ हो गए।

परेशानी की बात यह है कि न तो पीएचक्यू को उनकी कार्य उपस्थिति की जानकारी है और न ही सीहोर पुलिस को। फिर भी विभागीय प्रक्रिया में उनका नाम वेतन सूची में बना रहा और हर महीने उन्हें सैलरी मिलती रही।

पीएचक्यू की चिट्ठी से खुला मामला

मामले की असलियत तब सामने आई जब भोपाल पीएचक्यू ने सीहोर एसपी को पत्र भेजा, जिसमें पूछा गया कि संबंधित एएसआई कब से गैरहाजिर हैं और वे किस स्थान पर कार्यरत माने जा रहे हैं। इस पत्र ने पूरे पुलिस प्रशासन को चौंका दिया और अब पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

सीहोर एसपी का बयान

सीहोर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा:

“हमें भोपाल पीएचक्यू से पत्र प्राप्त हुआ है, जिसके बाद हमने प्राथमिक परीक्षण शुरू कर दिया है। यह जांच की जा रही है कि संबंधित एएसआई की अनुपस्थिति के बावजूद वेतन कैसे जारी होता रहा, और किस स्तर पर लापरवाही हुई है।

सवालों के घेरे में विभागीय व्यवस्था

इस मामले ने पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और वेतन भुगतान व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर जहां राज्य सरकार कर्मचारियों की उपस्थिति को डिजिटल रूप से ट्रैक करने की कोशिशें कर रही है, वहीं दूसरी ओर ऐसे मामले सिस्टम की खामियों को उजागर कर रहे हैं।

आगे क्या?

पुलिस विभाग द्वारा अब संबंधित एएसआई की उपस्थिति, कार्य रिपोर्ट और वेतन भुगतान से जुड़े दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है। यदि लापरवाही और धोखाधड़ी की पुष्टि होती है तो सख्त विभागीय कार्रवाई और वेतन वसूली की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

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