Samachar Nama
×

मालेगांव विस्फोट केस पर एडवोकेट प्रशांत मग्गू का बयान – "झूठे सबूतों के आधार पर गढ़ा गया था पूरा मामला"

मालेगांव विस्फोट केस पर एडवोकेट प्रशांत मग्गू का बयान – "झूठे सबूतों के आधार पर गढ़ा गया था पूरा मामला"

मालेगांव विस्फोट मामले में NIA की विशेष अदालत द्वारा सभी सात आरोपियों को बरी किए जाने के बाद मामले से जुड़े अधिवक्ता प्रशांत मग्गू ने शुक्रवार को इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अदालत के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह फैसला न्याय की जीत है और यह साबित करता है कि इस पूरे मामले को झूठे सबूतों के सहारे गढ़ा गया था।

एडवोकेट मग्गू ने मीडिया से बातचीत में कहा, “यह पूरा मामला एक प्रायोजित और मनगढ़ंत कथा पर आधारित था। जांच एजेंसियों ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर अदालत के सामने पेश किया और निर्दोष लोगों को सालों तक कानूनी प्रक्रिया में उलझाए रखा। अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देकर बरी किया, जो बिल्कुल उचित है।”

गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए बम धमाकों में 6 लोगों की मौत हुई थी और करीब 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस विस्फोट के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सात लोगों को आरोपी बनाया गया था। प्रारंभिक जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की थी, लेकिन बाद में यह मामला एनआईए को सौंपा गया।

एडवोकेट मग्गू ने यह भी कहा कि "जांच एजेंसियों को कानून के दायरे में रहकर कार्य करना चाहिए, न कि किसी राजनीतिक या वैचारिक दबाव में।"

उनके मुताबिक, अभियोजन पक्ष की सबसे बड़ी विफलता यह रही कि वह अदालत में एक भी ठोस, वैज्ञानिक और निष्पक्ष प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में दोषमुक्त हुए व्यक्तियों के जीवन के बर्बाद हो जाने की भरपाई कैसे होगी, यह भी एक बड़ा सवाल है।

मालेगांव केस में आए इस फैसले के बाद जहां एक ओर कई राजनीतिक दलों और नेताओं ने इसे ‘न्याय की विफलता’ बताया है, वहीं बचाव पक्ष के वकीलों का कहना है कि यह फैसला पूरे मामले की सच्चाई को सामने लाता है।

एडवोकेट मग्गू ने अंत में कहा, “यह फैसला केवल मेरे मुवक्किलों के लिए नहीं, बल्कि उन तमाम लोगों के लिए उम्मीद की किरण है जो झूठे मुकदमों में फंसाए जाते हैं। न्याय देर से मिला, लेकिन मिला।” अब सवाल उठ रहा है कि क्या इस फैसले के बाद जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली की समीक्षा की जाएगी और क्या झूठे मामलों में फंसाए गए आरोपियों को कोई क्षतिपूर्ति मिलेगी या नहीं।

Share this story

Tags