भगवा शिव की भक्ति करने वाला भक्त हर संकट से सुरक्षित रहेगा, कथा में बोले पंडित प्रदीप मिश्रा

कलियुग में पाप और भौतिकवाद बढ़ेगा, लेकिन भगवान शिव की पूजा करने वाला व्यक्ति सभी कठिनाइयों से सुरक्षित रहेगा। शिव पुराण सुनने मात्र से ही भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। जिस प्रकार दूध गर्म होने पर घी बन जाता है, उसी प्रकार जब मूर्तिकार मिट्टी को कुरेदता है, तभी सुंदर मूर्ति बनती है। उसी प्रकार भगवान भी अपने भक्तों को कष्ट देकर उन्हें पवित्र करते हैं। उक्त विचार अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने जिला मुख्यालय स्थित प्रसिद्ध कुबेरेश्वर धाम में आयोजित ऑनलाइन सात दिवसीय शिवपुत्री शिव महापुराण कथा के छठे दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कभी-कभी ऐसा लगता है कि भक्त दुखी है और पापी सुखी है। लेकिन ऐसा नहीं है, कष्ट भी हमारे लिए एक सीख है। इन कष्टों में भी अगर हम सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करें तो वह सुख में बदल सकता है। ऑनलाइन कथा में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं और सुबह से शाम तक "तेरे डमरू की धुन सुनकर काशी नगरी आई हूं, मेरे भोले ओ बाम भोले..." जैसे भक्ति गीतों का आनंद लेते हैं। कथा के छठे दिन पंडित श्री मिश्रा ने भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री अशोक सुंदरी का राजा नहुष के साथ विवाह का विस्तृत वर्णन किया।
भगवान कठिन परिस्थितियों में डालते हैं
पंडित मिश्रा ने कहा कि भगवान अपने भक्त के प्रेम और निष्ठा की परीक्षा लेते हैं। यह परीक्षा बताती है कि भक्त वास्तव में भगवान से कितना प्रेम करता है। यदि भक्त कठिन समय में भी भगवान के प्रति अपनी भक्ति और आस्था बनाए रखता है, तो इससे उसकी आध्यात्मिक उन्नति होती है। भक्तों को होने वाले कष्ट सामान्य घटनाएं नहीं हैं। वे भगवान की योजना के अंतर्गत आते हैं और उनके पीछे गहरे आध्यात्मिक कारण होते हैं। भगवान अपने भक्तों को कष्ट में नहीं देखना चाहते, बल्कि इन कष्टों को उन्हें उच्च आध्यात्मिक अवस्था तक ले जाने के साधन के रूप में उपयोग करते हैं। यह एक तरह का प्रशिक्षण है, जैसे गुरु अपने शिष्य को अनुशासन सिखाने के लिए कठिन परिस्थितियों में डालते हैं। बुधवार को कथा के दौरान उन्होंने कहा कि जब शिव रूपी गुरु हमें आशीर्वाद देते हैं, तभी हम शिवत्व के एक अंश को भी समझ पाते हैं। जब तक हमें भगवान का आशीर्वाद नहीं मिलता, तब तक हम धर्म और भक्ति की ओर नहीं बढ़ सकते। देवों के देव भगवान के आशीर्वाद से ही हम ईश्वर की ओर बढ़ते हैं। सुख और शांति बाबा भोलेनाथ के दर पर जाने से ही मिलती है।