अपने ही भाई से Pregnant हुई नाबालिग लड़की के एमटीपी के खिलाफ सुनवाई करेगा केरल हाईकोर्ट

उन्होंने कहा कि एकल-न्यायाधीश ने ये फैसला इस आधार पर लिया कि गर्भावस्था उसके भाई के कारण हुई है। वकील ने दलील में कहा, विद्वान एकल-न्यायाधीश को यह पता लगाना चाहिए था कि यदि बच्चे को गुप्त तरीके से दो और महीनों के लिए गर्भ में रखा जाता है, तो बच्चे के जीवन और कथित सामाजिक और चिकित्सकीय जटिलताओं को सुलझाया जा सकता है और पितृत्व को चिकित्सकीय रूप से साबित किया जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि मेडिकल रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि प्रसव के समय बच्चे का जीवन खतरे में होगा या यदि गर्भावस्था जारी रहती है तो मां को चिकित्सकीय समस्याएं होंगी। याचिकाकर्ता ने कहा, अदालत का अंतरिम आदेश आम आदमी की अंतरात्मा के खिलाफ है और दिल तोड़ने वाली भावना हो सकती है। मामले की सुनवाई अब सोमवार को एकल न्यायाधीश की पीठ करेगी।
--आईएएनएस
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