हंगामे के बीच केरल विधानसभा में निजी विश्वविद्यालय बिल पारित, यहां जानिए इस एजुकेशन सिस्टम पर क्या-क्या पड़ेगा असर?
केरल विधानसभा ने मंगलवार को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच निजी विश्वविद्यालय विधेयक पारित कर दिया। इससे राज्य में निजी विश्वविद्यालयों के संचालन का रास्ता साफ हो गया है। यह विधेयक विषय समिति द्वारा की गई जांच के बाद पारित किया गया। इससे पहले, बहस के दौरान विपक्ष ने विधेयक पर अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदु ने विधेयक के बारे में कहा कि यह केरल के शिक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ा कदम है। उन्होंने आश्वासन दिया कि निजी विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक मानकों को बनाए रखने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएंगे। विपक्षी दलों द्वारा संशोधन, शुल्क संरचना और प्रवेश प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए गए।
विपक्ष ने इस विधेयक को सैद्धांतिक रूप से खारिज तो नहीं किया, लेकिन सरकार के समक्ष अपनी आपत्तियां उठाईं। विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने चिंता व्यक्त की कि निजी विश्वविद्यालयों के कारण अब सरकारी विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रभावित होंगे। सतीशन ने कहा कि हम विधेयक के पूरी तरह खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमें यह देखना होगा कि इसका असर सार्वजनिक विश्वविद्यालयों पर न पड़े। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केवल कॉर्पोरेट शिक्षा एजेंसियों को ही निजी विश्वविद्यालय स्थापित करने का अवसर मिले। इन एजेंसियों ने केरल के शिक्षा क्षेत्र के विकास के लिए कदम उठाए हैं।
परिषद में 12 सदस्य होंगे
सरकार को सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को प्राथमिकता देनी चाहिए और निजी संस्थानों की जवाबदेही तय करनी चाहिए। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, केरल राज्य निजी विश्वविद्यालय (स्थापना और विनियमन) विधेयक निजी विश्वविद्यालयों के प्रमुख निर्णय लेने वाले निकायों में सरकार का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है। इससे निजी संस्थानों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है। गवर्निंग काउंसिल के 12 सदस्यों को विश्वविद्यालय के संचालन की देखरेख और इसके कानूनों का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें तीन सरकारी प्रतिनिधि भी शामिल हैं। जानकारी के अनुसार, परिषद में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव, एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी और सरकार द्वारा नामित एक अधिकारी को शामिल किया जाएगा।
छात्र परिषद का गठन किया जाएगा
विश्वविद्यालय के प्रायोजक निकाय में 4 सदस्य मनोनीत किये जायेंगे। प्रत्येक पाठ्यक्रम में 40% सीटें केरल के स्थायी निवासियों के लिए आरक्षित होंगी। राज्य की नीतियों के अनुसार सभी वर्गों को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। प्रत्येक विश्वविद्यालय में कुलपति के नेतृत्व में विद्यार्थी परिषद का गठन आवश्यक होगा। परिषद में 10 छात्र प्रतिनिधि शामिल होंगे, जिनमें 1 अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदाय से तथा कम से कम 2 छात्राएं होंगी। निजी विश्वविद्यालयों में शिक्षण, अनुसंधान, विकास और प्रशिक्षण की समय-समय पर निगरानी की जाएगी।
आरएमपी ने विरोध जताया
उच्च शिक्षा क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया जाएगा। वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि केरल से छात्र लगातार पलायन कर रहे हैं। क्या नया कानून इसे रोकने में प्रभावी होगा? क्रांतिकारी मार्क्सवादी पार्टी (आरएमपी) के विधायक केके रेमा ने विधेयक का कड़ा विरोध किया। अंततः अध्यक्ष ए.एन. शमसीर ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। अब इस विधेयक को कानून बनने से पहले मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया है।