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धर्मस्थल हत्याकांड में चौंकाने वाला खुलासा! अधिकारियों ने खुद जानवरों की तरह दफनाया लड़की का शव, हत्या के सबूत किए गायब

धर्मस्थल हत्याकांड में चौंकाने वाला खुलासा! अधिकारियों ने खुद जानवरों की तरह दफनाया लड़की का शव, हत्या के सबूत किए गायब

कर्नाटक के बेलथांगडी में हुए चौंकाने वाले खुलासे ने कथित सामूहिक हत्याकांड को लेकर एक बार फिर जनाक्रोश भड़का दिया है। यह प्रतिक्रिया आजतक की उस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के बाद आई है जिसमें दावा किया गया था कि पुलिस रिकॉर्ड को एक साज़िश के तहत मिटा दिया गया था। आजतक को मिले आरटीआई दस्तावेज़ों से पता चला है कि बेलथांगडी पुलिस ने 2000 से 2015 के बीच 'अप्राकृतिक मृत्यु रजिस्टर - यूडीआर' की सभी प्रविष्टियाँ हटा दीं। यह वही अवधि है जिसमें कई संदिग्ध और अघोषित मौतों के आरोप सामने आए थे।

अब, आरटीआई कार्यकर्ता जयंत ने विशेष जाँच दल (एसआईटी) को एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने एक नाबालिग लड़की के शव को अवैध रूप से दफनाते हुए खुद देखा है। जयंत का आरोप है कि घटना के दौरान कानूनी प्रक्रियाओं का खुलेआम उल्लंघन किया गया और कई अधिकारी मौके पर मौजूद थे। उम्मीद है कि एसआईटी जल्द ही इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज करेगी और शव को निकालने की प्रक्रिया शुरू करेगी।

आरटीआई के ज़रिए लंबे समय से पुलिस की कार्यप्रणाली की जाँच कर रहे जयंत ने बताया कि उन्होंने पहले भी बेलथांगडी पुलिस स्टेशन से गुमशुदा लोगों से जुड़े आंकड़े और उनकी तस्वीरें माँगी थीं। लेकिन पुलिस का जवाब चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा कि 'सामान्य प्रशासनिक आदेशों' के तहत सभी दस्तावेज़, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, दीवारों पर लगे पोस्टर, नोटिस और अज्ञात शवों की पहचान के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीरें नष्ट कर दी गई हैं।

जयंत ने कहा, '2 अगस्त को मैंने एसआईटी में शिकायत दर्ज कराई है। यह शिकायत उस घटना पर आधारित है जो मैंने अपनी आँखों से देखी। मैंने उस समय वहाँ मौजूद सभी लोगों के नाम दर्ज किए हैं, जिनमें अधिकारी भी शामिल हैं। जब लड़की का शव मिला, तो सभी कानूनी प्रक्रियाओं का खुलेआम उल्लंघन किया गया। उन्होंने शव को ऐसे दफनाया जैसे कोई कुत्ते को दफनाता है। वह दृश्य मुझे कई सालों से एक बुरे सपने की तरह सता रहा है। दो साल पहले ही मैंने कहा था कि अगर कभी ईमानदार अधिकारी इस मामले की जाँच अपने हाथ में लेंगे, तो मैं पूरी सच्चाई सामने लाऊँगा। अब वह समय आ गया है, इसलिए मैंने यह शिकायत दर्ज कराई है।' इस कदम के पीछे न तो कोई मुझे उकसा रहा है और न ही कोई मुझे प्रभावित कर रहा है।'

उन्होंने कहा, 'एक आरटीआई कार्यकर्ता होने के नाते, मैंने बेलथांगडी पुलिस स्टेशन में एक आवेदन दायर कर सभी गुमशुदगी की शिकायतों और उनसे जुड़ी तस्वीरों का रिकॉर्ड मांगा था। लेकिन पुलिस ने अपने जवाब में दावा किया कि गुमशुदगी की सभी शिकायतों का रिकॉर्ड नष्ट कर दिया गया है। आज के डिजिटल युग में, डेटा को डिजिटल किए बिना जानकारी को इस तरह कैसे नष्ट किया जा सकता है?'

जयंत ने कहा, 'अगर कहीं से कंकाल मिलते हैं, तो सरकार उनकी पहचान कैसे करेगी, जबकि संबंधित दस्तावेज़ पहले ही नष्ट हो चुके हैं? इसके पीछे कौन लोग हैं? इस पूरे मामले को कौन दबा रहा है और किसके प्रभाव में यह सब हो रहा है? जब कंप्यूटराइज्ड बैकअप उपलब्ध है, तो बैकअप लिए बिना सब कुछ नष्ट होने का दावा कैसे किया जा सकता है? इन सभी पहलुओं की गहराई से और निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए।'

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में बेलथांगडी पुलिस की उस समय कड़ी आलोचना हुई थी, जब उसने स्वीकार किया कि उसने 2000 से 2015 के बीच अज्ञात मौतों के महत्वपूर्ण रिकार्ड नष्ट कर दिए थे - यह वही अवधि थी, जब एक मुखबिर ने मंदिर में सामूहिक दफ़न किए जाने के गंभीर आरोप लगाए थे।

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