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कर्नाटक कांग्रेस में सियासी घमासान थमा, सिद्धारमैया की कुर्सी बरकरार, डीके शिवकुमार पीछे हटे

कर्नाटक की राजनीति में बीते कुछ हफ्तों से जारी खींचतान और सत्ता को लेकर मची उठापटक अब कुछ समय के लिए थमती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री पद को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच चल रही तकरार फिलहाल शांत हो गई है........
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कर्नाटक की राजनीति में बीते कुछ हफ्तों से जारी खींचतान और सत्ता को लेकर मची उठापटक अब कुछ समय के लिए थमती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री पद को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच चल रही तकरार फिलहाल शांत हो गई है। सूत्रों के अनुसार, डीके शिवकुमार ने फिलहाल मुख्यमंत्री पद की दौड़ से खुद को अलग कर लिया है, और सिद्धारमैया ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने रहेंगे।

इस राजनीतिक हलचल को सुलझाने में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने दोनों नेताओं के बीच मध्यस्थता करते हुए सुलह कराई और मीडिया से बातचीत में साफ कहा कि "सिद्धारमैया ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे।" दिलचस्प बात यह रही कि जब सुरजेवाला यह बयान दे रहे थे, तब डीके शिवकुमार भी वहां मौजूद थे, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे यह स्पष्ट हो गया कि शिवकुमार ने इस मुद्दे पर फिलहाल चुप्पी साधते हुए पीछे हटने का संकेत दिया है।

डीके शिवकुमार के पीछे हटने के संभावित कारण

1. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने की अनिच्छा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्व ने डीके शिवकुमार से मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने को कहा था। लेकिन शिवकुमार ऐसा करने को तैयार नहीं थे। उन्हें आशंका थी कि अगर उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ा तो सिद्धारमैया अपने किसी करीबी को इस पद पर बैठा सकते हैं, जिससे पार्टी पर उनकी पकड़ कमजोर हो सकती है। ऐसे में उन्होंने मौजूदा स्थिति को बनाए रखना ही बेहतर समझा।

2. बिहार चुनाव की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कांग्रेस इस समय बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी है और ऐसे समय पर वह कोई विवाद नहीं चाहती। सिद्धारमैया एक पिछड़ी जाति से आते हैं, और बिहार की लगभग 64% आबादी पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों की है। ऐसे में कांग्रेस नहीं चाहती कि वह एक पिछड़ी जाति के नेता को सीएम पद से हटाकर बिहार में नकारात्मक संदेश दे।

3. मनी लॉन्ड्रिंग मामले की छाया
डीके शिवकुमार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग की जांच चल रही है। वे 2019 में इसी मामले में जेल भी जा चुके हैं। कांग्रेस नेतृत्व नहीं चाहता कि भ्रष्टाचार जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पार्टी पर हमला हो। इसलिए पार्टी ने शायद उन्हें यह संदेश दिया है कि अभी समय का इंतजार करें, और जांच पूरी होने तक कोई बड़ा पद न लें।

4. आरसीबी जश्न में भगदड़ की छाया
हाल ही में आईपीएल टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की जीत के जश्न में हुई भगदड़ का मामला भी डीके शिवकुमार के खिलाफ गया। वे ही उस आयोजन की अनुमति देने वालों में शामिल थे। इस हादसे में भारी अव्यवस्था रही और लोगों में इसको लेकर काफी नाराजगी देखी गई। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि इस घटना के कारण भी पार्टी नेतृत्व ने फिलहाल शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाए जाने से परहेज किया।

अब आगे क्या?

डीके शिवकुमार का शांत रहना इस बात का संकेत है कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व का फैसला फिलहाल स्वीकार कर लिया है। लेकिन यह भी तय है कि उन्होंने सीएम बनने की महत्वाकांक्षा छोड़ी नहीं है, बल्कि उसे अभी के लिए टाल दिया है। उनकी मौन सहमति यह संकेत दे रही है कि वह आने वाले समय में फिर से अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं, विशेषकर तब जब केंद्र में 2029 के आम चुनाव करीब होंगे या जब पार्टी को नेतृत्व में बदलाव की आवश्यकता महसूस होगी।

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