कांग्रेस में आंतरिक कलह तेज़, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर में बढ़ा घमासान

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस इस समय गंभीर आंतरिक विवादों से जूझ रही है। पार्टी के भीतर के मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। विशेष रूप से कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर दो ऐसे राज्य बनकर उभरे हैं, जहां कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान मीडिया की सुर्खियों में है। एक ओर कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है, तो दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर में प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा के खिलाफ विरोध के स्वर तेज हो गए हैं।
कर्नाटक में ‘सीएम बदलो’ की मांग से गरमाई राजनीति
कर्नाटक में कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई अब खुलकर सामने आ चुकी है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच मतभेद लंबे समय से चर्चा में रहे हैं, लेकिन अब यह विवाद पार्टी हाईकमान तक पहुंच गया है।
कर्नाटक कांग्रेस में गुटबाजी इस कदर हावी हो चुकी है कि मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे वरिष्ठ नेता भी सीधा गेंद हाईकमान के पाले में डाल चुके हैं। इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य प्रभारी रणदीप सुरजेवाला को दिल्ली से बेंगलुरु बुलाया गया है, ताकि वे हालात को नियंत्रित कर सकें। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को समर्थन देने वाले एक विधायक ने तो यह तक दावा कर दिया कि 100 विधायकों का समर्थन उन्हें प्राप्त है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री बदलने का यही सही वक्त है। यह बयान आने के बाद पार्टी में हलचल और तेज हो गई है।
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस में ‘तारिक कर्रा बनाम वरिष्ठ नेता’ विवाद
कर्नाटक के अलावा जम्मू-कश्मीर कांग्रेस भी गंभीर आंतरिक संघर्ष से गुजर रही है। यहां प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा को लेकर असंतोष लगातार गहराता जा रहा है। राहुल गांधी की पसंद माने जाने वाले कर्रा पर आरोप है कि वे वरिष्ठ नेताओं को महत्व नहीं दे रहे और पार्टी के असल मुद्दों से भटककर अपनी अलग राजनीति करने में लगे हैं। उनकी कार्यशैली को लेकर कई वरिष्ठ नेता खुलकर विरोध जता चुके हैं।
हाल ही में जब कांग्रेस महासचिव सैयद नासिर हुसैन श्रीनगर पहुंचे और उनके सम्मान में भोज का आयोजन किया गया, तो इसमें पार्टी के कई असंतुष्ट नेता शामिल नहीं हुए, जिससे साफ संकेत मिला कि पार्टी में मतभेद काफी गहरे हो चुके हैं।
कर्रा के खिलाफ लामबंदी
प्रदेश अध्यक्ष तारिक कर्रा के खिलाफ लगभग 20 वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस हाईकमान से मुलाकात का समय मांगा है। इन नेताओं में शामिल हैं:
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पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल वानी
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वरिष्ठ नेता गुलाम नबी मोंगा
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पूर्व डिप्टी सीएम तारा चंद
इन नेताओं का कहना है कि कर्रा प्रदेश के नेताओं को नजरअंदाज कर रहे हैं और जमीनी स्तर पर पार्टी की हालत बिगड़ती जा रही है।
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की स्थिति पहले से ही बेहद कमजोर है। हाल ही में हुए चुनावों में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी है, जिसके बाद असंतोष और अधिक तेज़ हो गया है।
पार्टी के लिए खतरे की घंटी
कांग्रेस में यह आंतरिक कलह ऐसे समय पर सामने आई है जब पार्टी 2024 लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार से अभी तक उबर नहीं सकी है। एक ओर राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा और विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A को मजबूत करने में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य स्तर पर पार्टी की एकता खतरे में है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कांग्रेस हाईकमान समय रहते इस आंतरिक कलह को नियंत्रित नहीं कर सका, तो इसका सीधा असर आने वाले विधानसभा चुनावों और पार्टी की साख पर पड़ सकता है।