
चक्रधरपुर को नया जिला और कराईकेला को स्वतंत्र प्रखंड का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर क्षेत्र की जनता की उम्मीदें एक बार फिर से जाग उठी हैं। इस मुद्दे को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि आगामी विधानसभा सत्र में इस विषय को मजबूती के साथ उठाया जाएगा।
इस लंबे समय से लंबित मांग को लेकर क्षेत्रवासियों में लगातार आक्रोश और अपेक्षा का माहौल बना हुआ है। चक्रधरपुर क्षेत्र प्रशासनिक दृष्टिकोण से अत्यधिक सक्रिय और जनसंख्या के लिहाज से भी बड़ा है, लेकिन जिला न बनाए जाने से विकास कार्यों की गति प्रभावित होती रही है।
वहीं कराईकेला, जो अब भी एक पंचायत के रूप में कार्य कर रहा है, उसे प्रखंड का दर्जा देने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी लंबी दूरी तय कर मुख्यालय जाना पड़ता है, जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती है।
चक्रधरपुर के स्थानीय विधायक और जनप्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया है कि यह मुद्दा केवल जनभावना नहीं, बल्कि विकास और प्रशासनिक सुविधा से जुड़ा अहम विषय है। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा सत्र में वे इस मुद्दे को प्राथमिकता के साथ सदन में उठाएंगे और सरकार पर दबाव बनाएंगे ताकि इसे जल्द स्वीकृति मिल सके।
इस संबंध में क्षेत्र के सामाजिक संगठनों और छात्र नेताओं ने भी आवाज बुलंद की है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस बार भी मांगों को नजरअंदाज करती है, तो बड़ा जन आंदोलन शुरू किया जाएगा।
जानकारों की मानें तो चक्रधरपुर को जिला बनाने से न केवल प्रशासनिक कार्यों में सुविधा होगी, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन और रोजगार के अवसरों में भी तेजी आएगी। वहीं, कराईकेला को प्रखंड बनाए जाने से दर्जनों गांवों को सीधा लाभ मिलेगा और सरकार की योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचेगा।
अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या विधानसभा सत्र में सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर कोई ठोस निर्णय लेती है या फिर यह मांग एक बार फिर आश्वासन के दौर में ही सिमट जाएगी। क्षेत्र की जनता को उम्मीद है कि इस बार उन्हें अधिकार और सुविधा दोनों मिलेंगे।