पंचायती राज सूचकांक पर रांची में राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन, नई तकनीकों से ग्रामीण विकास को मिलेगी गति
केंद्र और राज्य सरकारें ग्रामीण विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए आधुनिक तकनीकों का सहारा ले रही हैं। इसी क्रम में गुरुवार को राजधानी रांची स्थित बीएनआर होटल में पंचायती राज सूचकांक विषय पर राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पंचायतों की कार्यक्षमता को मापने और विकास कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित करना रहा।
इस कार्यक्रम में झारखंड के सभी जिलों से आए पंचायती राज पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारियों के अलावा ग्रामीण विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। कार्यशाला के दौरान पंचायती राज सूचकांक (PRI Index) की अवधारणा, इसके उद्देश्य, संचालन प्रक्रिया और इससे जुड़ी तकनीकी प्रणाली की विस्तार से जानकारी दी गई।
कार्यशाला में वक्ताओं ने बताया कि पंचायती राज सूचकांक का उद्देश्य पंचायतों के प्रदर्शन को मापना, उनका तुलनात्मक विश्लेषण करना और कमजोर क्षेत्रों की पहचान कर सुधारात्मक उपाय लागू करना है। इससे न केवल योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता आएगी, बल्कि पंचायतों को प्रतिस्पर्धी भावना के साथ काम करने की प्रेरणा भी मिलेगी।
ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने कहा कि तकनीक की मदद से अब पंचायतों के कार्यों की निगरानी आसान हो गई है। डेटा आधारित मूल्यांकन से यह तय किया जा सकेगा कि किस पंचायत ने कितने काम किए, किन योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन हुआ और कहां सुधार की आवश्यकता है। इससे नीति-निर्माण में भी मदद मिलेगी।
कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने पंचायती राज सूचकांक को लेकर अपने सुझाव भी दिए और इसे और अधिक प्रभावी व व्यावहारिक बनाने के उपायों पर चर्चा की।
इस मौके पर एक डिजिटल मॉड्यूल का भी प्रदर्शन किया गया, जिससे पंचायतों की रिपोर्टिंग और निगरानी की प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
कार्यशाला में लिए गए फैसलों और विचार-विमर्श से साफ है कि राज्य सरकार अब पंचायत स्तर पर भी सुशासन की दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। उम्मीद की जा रही है कि पंचायती राज सूचकांक के माध्यम से झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की रफ्तार और तेज होगी।

