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बेटे ने मां के दुपट्टे से फांसी लगाकर की आत्महत्या, पूरे गांव में पसरा मातम

बेटे ने मां के दुपट्टे से फांसी लगाकर की आत्महत्या, पूरे गांव में पसरा मातम

झारखंड की राजधानी रांची के खेलगांव थाना क्षेत्र स्थित गाड़ीगांव पाहन टोला में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक बेटे ने खौफनाक कदम उठाते हुए अपनी मां के दुपट्टे को फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने पूरे गांव में शोक की लहर फैला दी है और गांववाले हैरान और परेशान हैं।

क्या हुआ था?

घटना रांची के गाड़ीगांव पाहन टोला की है, जहां गांव के निवासी प्रशांत लिंडा ने किसी कारणवश फांसी लगाने का कदम उठाया। बताया जा रहा है कि प्रशांत ने अपनी मां के दुपट्टे को फंदा बनाकर अपने घर के एक कमरे में आत्महत्या कर ली। सुबह जब घरवालों ने प्रशांत को नहीं देखा, तो वे उसे ढूंढ़ने निकले और कमरे में उसका शव दुपट्टे से लटका हुआ पाया। यह दृश्य देखकर परिवार और गांववाले गहरे सदमे में हैं।

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची

घटना के बाद, खेलगांव थाना पुलिस को सूचित किया गया, और पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया। पुलिस ने मृतक के परिजनों से पूछताछ की और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। हालांकि, आत्महत्या की वजह अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर प्रशांत ने ऐसा कदम क्यों उठाया।

गांव में पसरा मातम

प्रशांत की आत्महत्या ने पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया है। गांववालों का कहना है कि प्रशांत एक शांत और मेहनती युवक था और इस तरह का कदम उठाने की कोई संभावना नहीं थी। गांव के लोग इस घटना को लेकर हैरान हैं और दुखी हैं। प्रशांत के परिवारवाले भी पूरी तरह से टूट चुके हैं। परिवार ने बताया कि प्रशांत हाल ही में कुछ मानसिक दबाव का सामना कर रहा था, लेकिन इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है।

मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता

इस घटना ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आजकल युवाओं में मानसिक तनाव और अवसाद (डिप्रेशन) एक बढ़ती हुई समस्या बनती जा रही है। अगर समय रहते इन मुद्दों पर ध्यान दिया जाए और इलाज कराया जाए, तो ऐसे हादसों से बचा जा सकता है।

समाज में जागरूकता की आवश्यकता

यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। परिवार और समुदाय को युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा, आत्महत्या को रोकने के लिए सरकार और सामाजिक संस्थाओं को अधिक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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