आदिवासी बहुल राज्यों में उच्च न्यायिक सेवाओं में लागू हो आरक्षण, नगण्य है समुदाय का प्रतिनिधित्व: CM Soren

सोरेन ने झारखंड में छोटे-छोटे मामलों में बड़ी संख्या में गरीब, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक एवं कमजोर वर्ग के लोगों के जेल में बंद रहने पर गंभीर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने गत वर्ष ऐसे मामलों की सूची तैयार कराई, जो अनुसंधान पूरा न होने से पांच वर्षो से अधिक समय से पेंडिंग हैं। उनकी संख्या 3600 थी। एक अभियान चलाकर इनमें से 3400 मामलों का निष्पादन कराया है। मुख्यमंत्री ने न्यायालयों के कार्यो का निष्पादन स्थानीय भाषाओं में किए जाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे न्याय के मंदिरों और आमजनों के बीच की दूरी कम हो सकेगी। न्यायिक पदाधिकारियों और सहायक लोक अभियोजकों के लिए भी कम से कम एक स्थानीय भाषा सीखना अनिवार्य किया जाना चाहिए, ताकि न्याय को और सुलभ बनाया जा सके।
--आईएएनएस
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रांची न्यूज डेस्क !!