राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के तहत चिकित्सकों की नियुक्ति में टेंडर मॉडल को बढ़ावा, विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाने पर फोकस
झारखंड समेत देशभर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत संचालित स्वास्थ्य केंद्रों को सशक्त बनाने की दिशा में चिकित्सकों की नियुक्ति में अब टेंडर मॉडल को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य है – सरकारी अस्पतालों में अधिक से अधिक योग्य और विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती सुनिश्चित करना, जिससे ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में भी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
क्या है टेंडर मॉडल?
इस मॉडल के तहत सरकारी एजेंसियां निजी संस्थाओं या आउटसोर्सिंग कंपनियों से चिकित्सकीय सेवाएं प्राप्त करती हैं। इसके लिए बाकायदा निविदा (टेंडर) जारी की जाती है, जिसमें इच्छुक एजेंसियां हिस्सा लेती हैं। चयनित एजेंसियां डॉक्टरों की नियुक्ति करती हैं और उन्हें निर्धारित वेतन पर स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा जाता है।
क्यों अपनाया गया यह मॉडल?
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चिकित्सकों की भारी कमी को दूर करने के लिए यह प्रणाली अपनाई गई है।
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पारंपरिक तरीके से नियुक्ति में लगने वाले लंबे समय और प्रक्रिया की जटिलता को कम करने के लिए।
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विशेषज्ञ डॉक्टरों को भी ग्रामीण क्षेत्रों में आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।
लाभ क्या हैं?
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तेजी से नियुक्तियां संभव हो पा रही हैं।
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स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ सेवाओं की उपलब्धता बढ़ी है।
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ग्रामीण इलाकों में इमरजेंसी सेवाओं और विशेषज्ञ परामर्श की पहुंच में सुधार हुआ है।
चुनौतियां भी कम नहीं
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डॉक्टरों का अस्थायी जुड़ाव, जिससे सेवा की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
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कई बार एजेंसियों की लापरवाही के कारण सेवाएं बाधित होती हैं।
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नियंत्रण और जवाबदेही की प्रक्रिया पारंपरिक सरकारी नियुक्ति के मुकाबले कमजोर होती है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टेंडर मॉडल को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए लगातार निगरानी की जा रही है। वहीं, राज्य सरकार की योजना है कि आगामी वर्षों में मेडिकल सेवाओं को मजबूत करने के लिए टेंडर मॉडल के साथ-साथ नियमित नियुक्तियों पर भी जोर दिया जाए।
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