अब राज्य की शराब दुकानें जेएसबीसीएल के जरिए दैनिक वेतनभोगी कर्मियों से संचालित होंगी
झारखंड सरकार ने शराब व्यापार को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए झारखंड राज्य पेय पदार्थ निगम लिमिटेड (JSBCL) को राज्य में खुदरा शराब दुकानों के संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी है। यह व्यवस्था 5 जुलाई से लागू होगी। खास बात यह है कि अब इन दुकानों का संचालन दैनिक वेतन पर नियुक्त किए गए मानव बल के माध्यम से किया जाएगा। यह निर्णय राज्य कैबिनेट की बैठक में स्वीकृत किया गया, जिसमें कटौती उपरांत प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
क्या है नया प्रावधान?
झारखंड राज्य सरकार के इस निर्णय के तहत राज्य में मौजूद सभी सरकारी खुदरा शराब दुकानें अब सीधे JSBCL के नियंत्रण में रहेंगी। पूर्व में शराब दुकानों का संचालन ठेकेदारों या निजी एजेंसियों के माध्यम से किया जाता था, लेकिन अब इसे सरकारी निगरानी में, प्रतिदिन के वेतन पर काम करने वाले कर्मियों से कराया जाएगा।
क्या बदलेगा इस फैसले से?
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संचालन पर सीधा सरकारी नियंत्रण: सरकार अब शराब दुकानों के राजस्व और संचालन पर सीधा नियंत्रण रख सकेगी, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
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मानव बल की भर्ती दैनिक वेतन आधार पर: संचालन के लिए रखे गए कर्मियों को स्थायी नहीं बल्कि दैनिक वेतन भोगी आधार पर रखा जाएगा, जिससे व्यवस्था लचीली और लागत प्रभावी बन सकती है।
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राजस्व पर सकारात्मक असर की उम्मीद: सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से राजस्व में वृद्धि होगी और शराब माफियाओं की भूमिका को सीमित किया जा सकेगा।
क्यों लिया गया यह फैसला?
पिछले कुछ वर्षों में राज्य में शराब बिक्री व्यवस्था को लेकर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आई थीं। निजी संचालकों द्वारा बिलिंग में हेराफेरी, राजस्व में कमी, और अवैध बिक्री जैसे मामलों को देखते हुए सरकार ने इस क्षेत्र में सुधार की पहल की है।
कैबिनेट की बैठक में लिए गए अन्य निर्णयों के साथ आया यह प्रस्ताव
यह निर्णय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट बैठक में लिया गया, जिसमें कई अन्य प्रशासनिक और आर्थिक प्रस्तावों पर भी चर्चा की गई। शराब दुकानों के संचालन से संबंधित यह प्रस्ताव कटौती उपरांत पारित किया गया, जिसका अर्थ है कि सरकार ने पहले इसके कुछ पहलुओं पर समीक्षा की और फिर संशोधित रूप में इसे मंजूरी दी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
जहां सरकार इस निर्णय को राजस्व सुधार और पारदर्शिता की दिशा में उठाया गया कदम बता रही है, वहीं विपक्ष ने सवाल उठाया है कि दैनिक वेतन पर काम करने वाले अस्थायी कर्मियों के जरिए इतनी संवेदनशील व्यवस्था का संचालन कितना प्रभावी होगा? कुछ नेताओं ने इसे अस्थायी समाधान बताया और स्थायी नियोजन और निगरानी व्यवस्था की मांग की है।

