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10 डिसिमल से कम जमीन वाले रैयतों के म्यूटेशन में नहीं होनी चाहिए देरी, विभागीय निर्देश जारी

10 डिसिमल से कम जमीन वाले रैयतों के म्यूटेशन में नहीं होनी चाहिए देरी, विभागीय निर्देश जारी

राज्य सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि 10 डिसिमल से कम जमीन रखने वाले रैयतों के म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) मामलों में किसी भी अंचल कार्यालय द्वारा देरी नहीं की जानी चाहिए। सरकार का मानना है कि ऐसे छोटे-छोटे भूखंडों के स्वामी, जो पहले से सीमित संसाधनों के साथ जीवन यापन कर रहे हैं, उन्हें राजस्व प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब के कारण भारी परेशानी उठानी पड़ती है।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी जिलों के डीसी और अंचल अधिकारियों को निर्देश दिया है कि ऐसे मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाए और अधिकतम पारदर्शिता के साथ म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी की जाए।

रैयतों की बढ़ती परेशानी बनी चिंता का विषय
राज्य के कई जिलों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि 10 डिसिमल या उससे कम भूखंड के मालिकों को महीनों तक दाखिल-खारिज के लिए चक्कर काटने पड़ते हैं। न तो अंचल कार्यालयों से स्पष्ट जवाब मिलता है और न ही आवेदन की प्रक्रिया में पारदर्शिता देखी जाती है। कुछ मामलों में तो रैयतों को रिश्वत तक देने की नौबत आ जाती है।

पलामू जिले के एक रैयत रामप्रसाद भगत ने बताया, “मेरे पास सिर्फ 8 डिसिमल जमीन है, लेकिन पिछले छह महीने से दाखिल-खारिज के लिए बार-बार आवेदन कर रहा हूं। हर बार कोई नया दस्तावेज मांग लिया जाता है या जांच लंबित बताकर लौटा दिया जाता है।”

प्रशासनिक सख्ती और मॉनिटरिंग की तैयारी
राजस्व विभाग ने जिलाधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि किसी अंचल में 10 डिसिमल से कम जमीन वाले मामलों में अनावश्यक देरी की शिकायत मिलती है, तो संबंधित कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही विभागीय स्तर पर इन मामलों की निगरानी के लिए एक विशेष मॉनिटरिंग प्रणाली भी लागू की जा रही है ताकि प्रत्येक आवेदन की स्थिति ऑनलाइन ट्रैक की जा सके।

सरकार की मंशा – गरीबों को राहत, प्रक्रिया में तेजी
राज्य सरकार का मानना है कि छोटे भूखंड के मालिक अक्सर कमजोर वर्ग से आते हैं और उनके लिए जमीन ही एकमात्र संपत्ति होती है। ऐसे में म्यूटेशन की प्रक्रिया पूरी न होने पर न वे बैंक से ऋण ले पाते हैं और न ही किसी सरकारी योजना का लाभ उठा पाते हैं। म्यूटेशन में पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई से उन्हें कानूनी और वित्तीय सुरक्षा मिल सकेगी।

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