Jharkhand की ओलंपियन निक्की प्रधान ने 150वां इंटरनेशनल कैप हासिल किया, कभी हॉकी स्टिक तक खरीदने को पैसे नहीं थे !

निक्की के पिता कांस्टेबल हैं। तनख्वाह ज्यादा नहीं मिलती थी। निक्की खुद मां के साथ घर से लेकर खेतों तक में काम करती और समय निकालकर गांव के उबड़-खाबड़ खेतों में सहेलियों के साथ हॉकी खेलती। उसने बांस से छिलकर बनाई गई स्टिक के साथ अपनी शुरूआत की। दरअसल, उसके स्कूल में एक कार्यक्रम में कुछ इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर आए थे। उन्हें देखकर निक्की ने हॉकी खेलने का सपना देखा। उसने अपनी लगन और मेहनत से 2006 में रांची के गवर्नमेंट हाई स्कूल में दाखिला लेकर वहां के हॉकी ट्रेनिंग सेंटर में जॉइन किया।
स्कूल खत्म होने के बाद उन्हें हॉस्टल छोड़ना पड़ा। कोच और प्रिंसिपल ने उसकी लगन और मेहनत देखकर बाद हॉस्टल के अंदर सिर्फ रहने के लिए एक कमरा उपलब्ध कराया, जहां निक्की खुद खाना बनाती थीं। सुबह बगैर कुछ खाए निक्की ट्रेनिंग के लिए जाती। लौटकर खुद खाना बनाती और थोड़े आराम के बाद उसे फिर ट्रेनिंग के लिए जाना होता था। आखिरकार 2015 में वो दिन भी आया, जब निक्की प्रधान भारतीय टीम के लिए चुनी गईं। वह पहली 2016 में दक्षिण अफ्रीका दौरे के दौरान अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच में शामिल हुई थीं और तब से उसे हर महत्वपूर्ण टूनार्मेंट में पूरे कॉन्फिडेंस के साथ महिला हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया है।
वह अब तक दो ओलंपिक, दो विश्व कप, दो राष्ट्रमंडल खेल सहित विश्व के सभी बड़े अंतर्राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिताओं में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। वह 2017 में महिला एशिया कप में स्वर्ण पदक और 2018 में महिला एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में रजत सहित कुछ उल्लेखनीय जीत का हिस्सा रही हैं। निक्की ने कहा है कि मैं भारत के लिए 150 अंतर्राष्ट्रीय कैप पूरे करके बेहद गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। दुनिया भर में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं है। रियो और टोक्यो ओलंपिक में खेलना मेरे जीवन के सबसे सुखद क्षण थे। मैं मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लक्ष्य से साथ खेल जारी रखना चाहूंगी।
--आईएएनएस
रांची न्यूज डेस्क !!!
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