झारखंड में प्राकृतिक खनिजों की समृद्धि के बावजूद इस बार चर्चा का कारण बेहद अजीबोगरीब है। राज्य में पुलिस की निगरानी में रखे गए करीब 200 किलो गांजे को कथित तौर पर चूहों ने खा लिया। इस अनोखे घटनाक्रम के चलते एनडीपीएस एक्ट (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act) के तहत चल रहे एक गंभीर मामले में आरोपी को अदालत ने बरी कर दिया।
जानकारी के अनुसार, यह गांजा पुलिस हिरासत में रखा गया था और मामले की जांच का हिस्सा था। लेकिन, जांच और सुरक्षा के बावजूद यह गांजा अचानक गायब हो गया। बाद में पता चला कि इसे चूहों ने खा लिया। इस घटना ने न केवल पुलिस के सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए, बल्कि एनडीपीएस कानून के तहत मामलों की जटिलताओं को भी उजागर किया।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना कानून और अपराध नियंत्रण के दृष्टिकोण से अनोखी है। एनडीपीएस एक्ट के तहत 200 किलो से अधिक गांजे का होना गंभीर अपराध माना जाता है और इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान है। लेकिन इस बार प्राकृतिक कारणों—यानी चूहों के कारण—से गांजे का नष्ट हो जाना और आरोपी की बरी होने की प्रक्रिया ने कानून व्यवस्था के एक असामान्य पहलू को सामने लाया।
स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से वायरल हो गई। कई लोग इसे मजाकिया रूप में साझा कर रहे हैं, जबकि कुछ इस घटना को पुलिस निगरानी और सुरक्षा में कमी के उदाहरण के रूप में देख रहे हैं।
झारखंड पुलिस ने इस मामले पर फिलहाल कोई विस्तृत बयान नहीं दिया है। वहीं, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अदालत ने आरोपी को इसलिए बरी किया क्योंकि सबूतों की कमी और नष्ट हुए गांजे के कारण अभियोजन पक्ष अपने आरोप साबित नहीं कर सका।
यह घटना झारखंड के लिए अलग तरह की चर्चा का विषय बनी है। सामान्यतः राज्य अपनी खनिज संपदा और प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार राज्य को "चूहों द्वारा गांजा नष्ट होने" के कारण भी राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में देखा जा रहा है।
इस मामले ने यह भी संकेत दिया है कि पुलिस और कानून व्यवस्था को ऐसे अप्रत्याशित मामलों के लिए भी तैयार रहना चाहिए, जहाँ सबूतों का संरक्षण चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

