झारखंड हाईकोर्ट में संवैधानिक पदों पर नियुक्ति को लेकर हुई सुनवाई, सरकार से मांगा जवाब

झारखंड में लोकायुक्त, सूचना आयुक्त और अन्य संवैधानिक पदों की नियुक्तियों में हो रही देरी को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ में सुनवाई हुई। इस खंडपीठ में मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर शामिल थे।
जनहित याचिका में क्या कहा गया?
याचिकाकर्ता ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि राज्य में कई संवैधानिक व अर्ध-संवैधानिक पद लंबे समय से खाली पड़े हैं, जिनमें प्रमुख रूप से लोकायुक्त, राज्य सूचना आयुक्त और उप-आयुक्त जैसे पद शामिल हैं। याचिका में आरोप लगाया गया कि सरकार जानबूझकर इन महत्वपूर्ण पदों को खाली रखे हुए है, जिससे जनहित के मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
अदालत ने जताई चिंता
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस मसले को लेकर जवाब तलब किया है। अदालत ने पूछा कि
"इन महत्वपूर्ण पदों की नियुक्ति में अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और किन कारणों से इसमें विलंब हो रहा है?"
मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक टिप्पणी में यह भी कहा कि
"संवैधानिक संस्थाओं का समय पर गठन और संचालन लोकतंत्र की मूल आत्मा है। यदि ये पद खाली रहेंगे, तो आम जनता की शिकायतों का समाधान कैसे होगा?"
सरकार को नोटिस
अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर संपूर्ण विवरण सहित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसमें यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि लोकायुक्त व सूचना आयोग जैसी संस्थाओं में नियुक्तियों को लेकर अब तक क्या प्रयास किए गए हैं।
लंबित हैं कई पद
झारखंड में लोकायुक्त का पद कई महीनों से खाली पड़ा है, वहीं राज्य सूचना आयोग में भी प्रमुख पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी है। इसके अलावा राज्य मानवाधिकार आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग जैसे संवैधानिक निकाय भी आंशिक रूप से निष्क्रिय हैं। याचिका में कहा गया है कि इससे सामान्य जनता के अधिकारों की रक्षा और पारदर्शिता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
अगली सुनवाई जल्द
अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो वह आवश्यक निर्देश जारी कर सकती है। मामले की अगली सुनवाई आगामी सप्ताह में होने की संभावना है।