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झारखंड हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, विधवा बहू और नाबालिग बच्चे को भरण-पोषण का अधिकार

झारखंड हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: विधवा बहू और नाबालिग बच्चे को भरण-पोषण का अधिकार

झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने भरण-पोषण को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि विधवा बहू और उसके नाबालिग बच्चे को ससुर और देवर से भरण-पोषण का दावा करने का अधिकार है, बशर्ते कि वे स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ हों और ससुराल वालों के पास पैतृक संपत्ति हो।

🔹 अदालत का निर्देश

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि भरण-पोषण का अधिकार केवल उस स्थिति में लागू होगा जब विधवा बहू और उसके नाबालिग बच्चे की आर्थिक स्थिति ऐसी हो कि वे अपनी जीविका चलाने में सक्षम न हों। इसके साथ ही, अदालत ने यह भी कहा कि ससुराल वालों के पास पैतृक संपत्ति होनी चाहिए, जिससे भरण-पोषण का दावा किया जा सके।

🔹 फैसले का असर

यह फैसला खास तौर पर विधवा महिलाओं और उनके बच्चों के लिए राहत देने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि भरण-पोषण की जिम्मेदारी अक्सर परिवार के अन्य सदस्य पर डाली जाती है, खासकर जब महिला और बच्चा आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि ससुराल वालों को जिम्मेदारी से भरण-पोषण प्रदान करने का अधिकार होगा यदि वे सक्षम हैं और इसे देने की स्थिति में हैं।

🔹 समाजिक दृष्टिकोण

इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि महिला और बच्चे के अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी, खासकर जब वे किसी पारिवारिक सदस्य पर निर्भर हों। न्यायपालिका ने परिवारों में आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा की अहमियत को मान्यता दी है।

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