Samachar Nama
×

भरण-पोषण पर झारखंड हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, विधवा बहू और बच्चे को मिलेगा अधिकार

भरण-पोषण पर झारखंड हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: विधवा बहू और बच्चे को मिलेगा अधिकार

झारखंड हाई कोर्ट ने विधवा बहुओं और उनके नाबालिग बच्चों के अधिकारों को लेकर एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है। जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने कहा कि यदि विधवा बहू स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ है और ससुराल पक्ष के पास पैतृक संपत्ति है, तो वह अपने ससुर और देवर से भरण-पोषण का दावा कर सकती है

क्या कहा कोर्ट ने?

कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा —

विधवा बहू और उसके नाबालिग बच्चे, यदि वे असमर्थ हैं अपने जीवन यापन के लिए और ससुराल पक्ष के पास पैतृक संपत्ति है, तो भारतीय कानून के तहत वे भरण-पोषण पाने के हकदार हैं।”

मामला क्या था?

यह फैसला एक मामले की सुनवाई के दौरान आया, जहां एक विधवा महिला ने अपने ससुर और देवर के खिलाफ भरण-पोषण की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। महिला के पति की मृत्यु के बाद उसे और उसके बच्चे को ससुराल से निकाल दिया गया था, जबकि ससुराल पक्ष के पास पर्याप्त पैतृक संपत्ति थी।

कोर्ट की टिप्पणी:

  • सामाजिक और नैतिक दायित्वों की बात करते हुए कोर्ट ने कहा कि
    पैतृक संपत्ति वाले परिवार की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने दिवंगत सदस्य की पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण करें।

  • साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में ससुर या देवर का उत्तरदायित्व बनता है, जब तक कि महिला स्वयं आत्मनिर्भर न हो जाए।

फैसले के असर:

  • यह निर्णय हजारों ऐसी महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण बन सकता है, जिन्हें पति की मृत्यु के बाद ससुराल से निकाला जाता है।

  • भरण-पोषण कानून की व्याख्या को और व्यापक बनाते हुए यह फैसला महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

Share this story

Tags