जयरामपुर में सड़क कटाई के विरोध में गरजा जनमानस, नागरिक एकता मंच ने सांसद ढुलू महतो की मौजूदगी में जताया आक्रोश

जयरामपुर मोदीभिट्ठा बस्ती की मुख्य सड़क को सुशी आउटसोर्सिंग परियोजना प्रबंधन द्वारा काटे जाने के विरोध में सोमवार को क्षेत्र में जनाक्रोश देखने को मिला। इसको लेकर मुंडा पट्टी में ‘नागरिक एकता मंच’ की ओर से एक जनसभा का आयोजन किया गया, जिसमें धनबाद के सांसद ढुलू महतो भी विशेष रूप से मौजूद रहे।
सड़क कटाई पर भड़का स्थानीय जनमानस
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि बिना पूर्व सूचना और विकल्प के, बस्ती की मुख्य सड़क को सुशी आउटसोर्सिंग परियोजना द्वारा खनन व मशीनरी संचालन के नाम पर काटा जा रहा है, जिससे सैकड़ों लोगों की आवाजाही, स्कूल जाने वाले बच्चों और मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में भारी परेशानी हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क के कट जाने से उनका संपर्क मार्ग पूरी तरह टूट जाएगा।
नागरिक एकता मंच की अगुवाई में हुआ विरोध
नागरिक एकता मंच के बैनर तले आयोजित सभा में सैकड़ों ग्रामीणों ने हिस्सा लिया और सड़क की कटाई पर रोक लगाने की मांग की। मंच के वक्ताओं ने कहा कि यह विकास नहीं बल्कि विनाश है, जो आम जनजीवन को प्रभावित कर रहा है। लोगों ने आरोप लगाया कि परियोजना प्रबंधन ने जनसहमति के बिना यह कदम उठाया है।
सांसद ढुलू महतो ने जताई चिंता
सभा को संबोधित करते हुए सांसद ढुलू महतो ने कहा कि
"यदि आम जनता की सहमति के बिना किसी भी परियोजना द्वारा सड़क काटी जा रही है, तो यह सरासर अन्याय है। मैं इस मुद्दे को उच्च स्तर तक उठाऊंगा और ज़रूरत पड़ी तो आंदोलन भी किया जाएगा।"
उन्होंने परियोजना प्रबंधन को चेताया कि जनविरोध को अनदेखा कर किसी भी विकास कार्य को थोपना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने प्रशासन से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप कर वैकल्पिक मार्ग देने और जनहित में समाधान निकालने की मांग की।
क्या है सुशी आउटसोर्सिंग परियोजना?
सुशी आउटसोर्सिंग एक खनन परियोजना है जो कोयला खनन क्षेत्र में सक्रिय है। इस परियोजना के विस्तार के तहत स्थानीय इन्फ्रास्ट्रक्चर को पुनर्गठित किया जा रहा है, जिसमें सड़कें, बिजली लाइन और अन्य ढांचे शामिल हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों का आरोप है कि उन्हें पर्याप्त मुआवजा, पुनर्वास और सार्वजनिक सूचना के बिना नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इस जनसभा के माध्यम से स्थानीय जनता ने स्पष्ट संदेश दिया है कि उनकी सहमति के बिना कोई भी विकास कार्य नहीं चलने दिया जाएगा। अब देखना होगा कि इस विरोध के बाद प्रशासन और परियोजना प्रबंधन इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।