राजधानी में जमीन को लेकर ईडी और सरकार आमने-सामने, हाईकोर्ट की शरण में पहुंची ईडी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और मध्य प्रदेश सरकार के बीच राजधानी भोपाल में जमीन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। वर्ष 2018 से ईडी अपने क्षेत्रीय कार्यालय के लिए राज्य सरकार से जमीन की मांग कर रही है। संबंधित विभाग को भुगतान भी किया जा चुका है, लेकिन अब तक जमीन का आवंटन नहीं हुआ है। जमीन न मिलने से नाराज ईडी ने अब हाईकोर्ट की शरण ली है।
ईडी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें आग्रह किया गया है कि उसे तत्काल कार्यालय निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए। ईडी की ओर से बताया गया है कि उसने राजधानी में दफ्तर निर्माण के लिए जमीन की आवश्यकता को लेकर कई बार पत्राचार किया, परंतु कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। अंततः मजबूर होकर न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।
सरकार की भूमिका पर सवाल
ईडी के मुताबिक, उन्होंने वर्ष 2018 में तय प्रक्रिया के अनुसार आवेदन किया था और संबंधित विभाग को जमीन के लिए निर्धारित राशि का भुगतान भी कर दिया गया था। इसके बावजूद अब तक जमीन का आवंटन न होना सरकारी मशीनरी की उदासीनता को दर्शाता है। सूत्रों का कहना है कि प्रशासनिक स्तर पर फाइलें अटकने के कारण यह मामला अब तक लटका हुआ है।
क्या कहता है कानून?
कानूनी जानकारों के मुताबिक, यदि किसी संस्था ने नियमानुसार जमीन का भुगतान कर दिया है और सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं, तो जमीन आवंटन में देरी प्रशासनिक लापरवाही मानी जा सकती है। हाईकोर्ट में इस तरह की याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा।
ईडी की भूमिका अहम
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आर्थिक अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की जांच करने वाली केंद्रीय एजेंसी है। हाल के वर्षों में मध्य प्रदेश सहित देशभर में ईडी की कार्रवाई चर्चा में रही है। ऐसे में राजधानी भोपाल में उसका क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करना बेहद जरूरी माना जा रहा है।
आगे की राह
अब इस पूरे मामले में हाईकोर्ट क्या निर्णय लेता है, यह देखना दिलचस्प होगा। यदि न्यायालय ईडी के पक्ष में फैसला देता है, तो सरकार को तत्काल जमीन आवंटित करनी होगी। वहीं, इससे अन्य संस्थाओं को भी यह संदेश जाएगा कि सरकारी प्रक्रियाओं में देरी पर न्यायालय हस्तक्षेप कर सकता है।

