बिना सक्षम प्राधिकार के आठ आईपीएस अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार देने पर विवाद, गृह विभाग ने जताई कड़ी आपत्ति

झारखंड में प्रशासनिक कार्यप्रणाली को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है। राज्य पुलिस मुख्यालय द्वारा बिना सक्षम प्राधिकार की स्वीकृति के आठ आईपीएस अधिकारियों को खाली पड़े पदों का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया, जिस पर अब राज्य सरकार के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।
बिना अनुमोदन के आदेश, नियमों का उल्लंघन!
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस मुख्यालय ने हाल ही में राज्य के विभिन्न जिलों और शाखाओं में खाली पदों को देखते हुए आठ आईपीएस अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार दे दिया, लेकिन इस संबंध में गृह विभाग या राज्य सरकार से पूर्वानुमोदन नहीं लिया गया। नियमानुसार, इस तरह के पदस्थापन और प्रभार देने के लिए राज्य सरकार की अनुमति अनिवार्य होती है, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया।
गृह विभाग ने जताई सख्त नाराजगी
इस घटनाक्रम पर गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने स्पष्टीकरण की मांग करते हुए पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा है। विभाग ने कहा है कि
"यह कार्य प्रचलित सेवा नियमावली एवं प्रशासनिक परंपराओं के खिलाफ है। किसी भी आईपीएस अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार सौंपने से पहले सक्षम प्राधिकार से स्वीकृति आवश्यक है।"
प्रशासनिक हलकों में हलचल
इस मामले के सामने आने के बाद राज्य के प्रशासनिक व पुलिस महकमे में हलचल मच गई है। इसे अधिकारियों के बीच कार्यप्रणाली के समन्वय की कमी और शक्ति संतुलन के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इससे भविष्य में अन्य संवेदनशील नियुक्तियों में भी पारदर्शिता और नियमों पर सवाल उठ सकते हैं।
विपक्ष ने भी उठाए सवाल
इस मसले पर विपक्षी दलों ने भी राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा,
"जब पुलिस मुख्यालय जैसी महत्वपूर्ण संस्था नियमों की अनदेखी कर रही है, तो फिर कानून-व्यवस्था की रक्षा कौन करेगा?"
उन्होंने राज्य सरकार से इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
क्या हो सकते हैं परिणाम?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह साबित होता है कि बिना मंजूरी के आदेश जारी किए गए हैं, तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है, और संभव है कि विवादित आदेश निरस्त भी कर दिए जाएं। साथ ही, यह मामला राज्य प्रशासन में पदाधिकारी समूहों के बीच शक्ति संघर्ष की ओर भी इशारा करता है, जो आने वाले समय में और बड़ा मुद्दा बन सकता है।