हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग पर ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली का प्रयोग, ट्रेन संचालन में होगी आसानी
हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग पर अब एक के बाद दूसरी ट्रेन बिना किसी रुकावट के चलाई जा सकेगी, जिससे लेटलतीफी और दुर्घटनाओं की आशंका कम होगी। इस बदलाव के तहत, रेलवे ने ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली को अपनाना शुरू कर दिया है, जो सुरक्षित और सुगम रेल परिचालन को सुनिश्चित करेगा।
ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली का महत्व
-
सुरक्षा में वृद्धि:
ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली रेलवे के परिचालन में सुरक्षा को महत्वपूर्ण स्तर पर बढ़ाएगी। इस प्रणाली के तहत, हर ट्रेन के आने और जाने के समय को सटीकता से ट्रैक किया जाएगा, जिससे हादसों के खतरे को कम किया जा सकेगा। -
दूरी को सही तरीके से बनाए रखना:
यह प्रणाली सुनिश्चित करेगी कि एक ट्रेन के बाद दूसरी ट्रेन को सुरक्षित दूरी पर भेजा जाए, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना कम होगी। अब ट्रेनों के बीच पर्याप्त अंतर बनाए रखना आसान हो जाएगा, जिससे रुकावट भी कम होगी। -
लेटलतीफी में कमी:
पुराने सिग्नल सिस्टम के मुकाबले, ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम अधिक सटीक और तेज होगा, जिससे ट्रेनें अधिक तेजी से चल सकेंगी और यात्री यात्रा के समय में सुधार देख सकेंगे।
रेलवे के बयान
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली के लागू होने से रेलवे परिचालन में कई सुधार होंगे, और यात्रियों को सुगम और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिलेगा। यह प्रणाली हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग पर बड़े पैमाने पर प्रभावी साबित होगी, जहां पहले से ही ट्रेनों का आवागमन तेज और अधिक है।"
भविष्य की योजना
रेलवे ने इस प्रणाली के विस्तार की योजना बनाई है, जिससे भविष्य में देश के अन्य प्रमुख मार्गों पर भी इसे लागू किया जा सके। इसका उद्देश्य पूरे देश में रेल यात्रा को सुरक्षित, तेज और सुविधाजनक बनाना है।

