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झारखंड में माओवादियों पर भारी पड़ा पुलिस का अभियान, 95% का सफाया, बचे 130 नक्सली

झारखंड में माओवादियों पर भारी पड़ा पुलिस का अभियान, 95% का सफाया, बचे 130 नvक्सली

झारखंड में माओवाद के खात्मे को लेकर राज्य पुलिस ने बड़ी उपलब्धि का दावा किया है। पुलिस के अनुसार, राज्य में अब तक 95 प्रतिशत से अधिक माओवादियों का सफाया किया जा चुका है। फिलहाल लगभग 130 सक्रिय माओवादी ही जंगलों में छिपे हुए हैं। पुलिस का लक्ष्य है कि इन बचे हुए उग्रवादियों को 31 मार्च तक पूरी तरह खत्म या आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया जाए।

पुलिस और सुरक्षा बलों के संयुक्त अभियान ने बीते कुछ वर्षों में झारखंड के कई जिलों में माओवादी गतिविधियों को कमजोर किया है। गढ़वा, लातेहार, चतरा, लोहरदगा, गुमला, और पलामू जैसे इलाकों में पहले जहां माओवादी प्रभावी थे, अब वहां पुलिस कैंप और विकास कार्यों ने उनकी कमर तोड़ दी है।

राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “अब माओवाद झारखंड में अंतिम दौर में है। पहले जहां हजारों माओवादी सक्रिय थे, अब उनकी संख्या घटकर 130 से भी कम रह गई है। इनमें से कई के खिलाफ भारी इनाम घोषित हैं। हमारा प्रयास है कि या तो ये आत्मसमर्पण करें या कार्रवाई के दौरान पकड़े जाएं।”

माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस ने “ऑपरेशन ऑक्टोपस”, “ऑपरेशन ध्वस्त” और “ऑपरेशन नई दिशा” जैसे अभियान चलाए हैं, जिनमें कई कुख्यात माओवादी ढेर हुए हैं या आत्मसमर्पण कर चुके हैं। झारखंड पुलिस को CRPF, झारखंड जगुआर और अन्य अर्धसैनिक बलों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है।

पुलिस ने ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, स्कूल, बिजली और स्वास्थ्य सेवाएं बहाल कर स्थानीय जनता को माओवाद के खिलाफ खड़ा किया है। अब आम लोग माओवादियों की सूचना देने में आगे आ रहे हैं। इसके साथ ही सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को सम्मानजनक जीवन और रोजगार की सुविधा दी जा रही है।

गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय ने जिलों के SP को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे 31 मार्च तक अपने-अपने क्षेत्र को माओवादी मुक्त क्षेत्र घोषित करें। इसके लिए विशेष सतर्कता बरती जा रही है और ड्रोन, हाई-टेक सर्विलांस उपकरणों और खुफिया तंत्र की मदद से जंगलों में सर्च ऑपरेशन तेज किए गए हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि झारखंड में माओवाद अब निर्णायक मोड़ पर है। यदि सरकार और पुलिस इसी तरह संयुक्त प्रयास जारी रखें, तो आने वाले महीनों में राज्य पूरी तरह नक्सलमुक्त हो सकता है।

झारखंड में माओवाद का सफाया न सिर्फ सुरक्षा के लिहाज से, बल्कि विकास की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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