Samachar Nama
×

उधमपुर के जंगल आतंकियों का पनाहगार, हमले के बाद चकमा देकर जंगलों में भाग रहे आतंकी

उधमपुर के जंगल आतंकियों का पनाहगार, हमले के बाद चकमा देकर जंगलों में भाग रहे आतंकी

उधमपुर के डुडू बसंतगढ़ के घने जंगल और गुफाएं आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गई हैं। आतंकवादी यहां तीन साल से एक्टिव हैं और पिछले 20 महीनों में सुरक्षा बलों के साथ आठ मुठभेड़ हो चुकी हैं। हर बार आतंकवादी हमला करने के बाद जंगलों में भाग गए हैं।

सोमवार को जिले के मजालता के सोन मरथा गांव में सुरक्षा बलों के साथ आतंकवादियों की मुठभेड़ हुई। सेना, CRPF, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) और पुलिस ने पिछले 20 महीनों में बसंतगढ़ इलाके में 40 एंटी-टेरर सर्च ऑपरेशन चलाए हैं, लेकिन आतंकवादियों को ढूंढने में नाकाम रहे हैं। इस बार आतंकवादियों ने जिले के ही मजालता को चुना।

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय से जम्मू संभाग के उधमपुर और किश्तवाड़ जिलों में ही मुठभेड़ हो रही हैं। माना जा रहा था कि सुरक्षा बल आतंकवादियों को एक सीमित इलाके में रोकने में सफल रहे हैं, लेकिन सोमवार को उधमपुर के मजालता में हुई मुठभेड़ इसके उलट साबित करती है।

अब आतंकवादियों ने एक नई जगह चुन ली है। ऐसा लगता है कि आतंकवादी पूरे जिले के जंगलों और भूगोल से अच्छी तरह वाकिफ हैं। वे जंगलों में रहने, नदी-नाले पार करने और लोकल सपोर्ट पाने में माहिर हैं। यही वजह है कि वे इतने लंबे समय से इलाके में एक्टिव हैं। बार-बार एनकाउंटर के बावजूद वे सिक्योरिटी फोर्स को चकमा दे रहे हैं।

इंटेलिजेंस सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है: पठानिया
रिटायर्ड कर्नल सुशील पठानिया का कहना है कि एनकाउंटर आतंकवादियों और स्लीपर सेल के लिए अपनी मौजूदगी और आतंकवाद के बने रहने का सिग्नल देने का एक तरीका है। डुड्डू-बसंतगढ़ से लेकर किश्तवाड़ तक हुए एनकाउंटर में छोटे एनकाउंटर के बाद गायब हो जाना आतंकवादियों का पैटर्न रहा है। जनता और सिक्योरिटी फोर्स का फोकस बनाए रखना भी आतंकवादियों का एक अहम एजेंडा है। आतंकवादियों को खत्म करने के लिए इंटेलिजेंस सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है। संदिग्धों की लिस्ट तैयार की जानी चाहिए और उनकी एक्टिविटी पर नजर रखी जानी चाहिए। तभी स्लीपर सेल को खत्म किया जा सकता है।

आतंकवादियों को लोकल सपोर्ट मिल रहा है: जेपी सिंह
जम्मू-कश्मीर पुलिस के रिटायर्ड आईजी जेपी सिंह ने कहा कि 26 जनवरी नजदीक है। आतंकवादी कुछ बड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि किसी इलाके में सक्रिय आतंकवादी वहां से नहीं जाते। यह कोई नया ग्रुप हो सकता है। आतंकवादियों को लोकल सपोर्ट मिल रहा है। अगर हम आतंकवादियों को नहीं मार सकते, तो हमें अपनी स्ट्रेटेजी बदलनी होगी। दूर-दराज के इलाकों में पुलिस स्टेशन और चौकियों को मजबूत करना होगा।

Share this story

Tags