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जम्मू कश्मीर में कांग्रेस को लग सकता है बड़ा झटका! टूटने की कगार पर कांग्रेस-NC गठबंधन, आखिर क्यों बढ़ रही दोनों पार्टियों में दूरियां, सामने आई ये बड़ी वजह

जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन के बीच दूरियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा प्रस्तावित मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल होने से इनकार कर दिया...
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जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन के बीच दूरियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा प्रस्तावित मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल होने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि वह दोहरी प्रशासनिक व्यवस्था वाली सरकार का हिस्सा नहीं बनेगी, राज्य का दर्जा बहाल करना उसका एजेंडा है। दूसरी ओर, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी कांग्रेस से गठबंधन खत्म करने की बात शुरू कर दी है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं के अनुसार, कांग्रेस राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर उन्हें नीचा दिखाकर अपनी राजनीति चमकाने में लगी हुई है। उमर निकट भविष्य में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने वाले हैं। इस क्रम में, वह मौजूदा मंत्रियों में से एक या दो को हटाकर उनकी जगह दो नए चेहरों के साथ तीन अन्य मंत्रियों को शामिल कर सकते हैं।

कांग्रेस ने मंत्रिमंडल में शामिल न होने की बात कही

उनका इरादा प्रस्तावित विस्तार में अपने मंत्रिमंडल में कांग्रेस के एक सदस्य को शामिल करने का भी था, लेकिन कांग्रेस ने इनकार कर दिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कारा ने कहा कि जब तक जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता, हम सरकार में शामिल नहीं होंगे। यह हमारा कोई नया रुख नहीं है, पिछले साल जब सरकार बनी थी, तब हमने कहा था कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद ही हम सरकार में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था, जिसमें एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को पुलिस रोके रखे, जहाँ उपराज्यपाल की मंज़ूरी के बिना कोई प्रशासनिक फ़ैसला न लिया जा सके, हमें स्वीकार्य नहीं है। हमने जनता से पूर्ण राज्य का वादा किया है, उसे पूरा करना है।

मुख्यमंत्री के सलाहकार नासिर असलम वानी ने मंत्रिमंडल विस्तार पर कुछ भी कहने से इनकार करते हुए कहा कि जहाँ तक कांग्रेस का सवाल है, अगर वह जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर गंभीर है, तो उसे अपने अभियान के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस को विश्वास में लेना चाहिए था। उन्होंने अकेले ही "हमारी रियासत-हमारा हक़" अभियान शुरू किया था। अगर वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर यह अभियान चलातीं तो ज़्यादा प्रभावी होता। सरकार में शामिल होना या न होना कांग्रेस का आंतरिक मामला है, हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है।

कांग्रेस, एनसी को कमज़ोर दिखा रही है

नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यहाँ हर कोई राज्य का दर्जा चाहता है, लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है। वह लोगों में यह बात फैलाने की कोशिश कर रही है कि एनसी इस मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं है। अगर उन्हें ऐसा लगता है तो उन्हें गठबंधन से हट जाना चाहिए। हम कांग्रेस के बिना भी मज़बूत हैं। वहीं, कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ राशिद राही ने कहा कि कांग्रेस दो राज्यसभा सीटों और कैबिनेट में एक प्रभावी विभाग की आकांक्षा रखती है, जिसके लिए एनसी अभी तैयार नहीं है।

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