बसंतगढ़ में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना का जवान शहीद,आतंक के खिलाफ अब तक 33 सर्च ऑपरेशन

उधमपुर जिले के बसंतगढ़ इलाके में पिछले 14 महीनों के दौरान आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच छह मुठभेड़ हो चुकी हैं। इन सभी मुठभेड़ों में सुरक्षा बलों के तीन जवान बलिदान हुए हैं। 24 अप्रैल 2025 को आतंकियों से मुठभेड़ में सेना का एक जवान शहीद हुआ, 28 अप्रैल 2024 को वीडीजी बलिदान हुआ, 19 अगस्त 2024 को मुठभेड़ में सीआरपीएफ का एक जवान शहीद हुआ। इसके अलावा 6 और 11 अगस्त 2024, 11 सितंबर 2024 को आतंकियों से मुठभेड़ हुई। इस इलाके में 14 महीनों में 33 बार सर्च ऑपरेशन चलाए गए। यह ऑपरेशन सेना, सीआरपीएफ, एसओजी और पुलिस ने मिलकर चलाया है।
बसंतगढ़ में सक्रिय आतंकी पूरी तरह प्रशिक्षित हैं और बार-बार चकमा देकर फरार हो जाते हैं। उधमपुर के बसंतगढ़ में घिरे आतंकी पाकिस्तान के हैं। जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन के ये आतंकी बेहद प्रशिक्षित हैं, जो जंगलों में रहने, नदियों और नहरों को मिनटों में पार करने में माहिर हैं। यही वजह है कि ये लंबे समय से इलाके में सक्रिय हैं। लगातार मुठभेड़ों के बावजूद ये सुरक्षा बलों को चकमा देकर भाग निकलते हैं।
आशंका है कि इन आतंकियों ने डेढ़ साल पहले सांबा-कठुआ सीमा से घुसपैठ की थी। इसके बाद ये उधमपुर बसंतगढ़ इलाके में पहुंचे। तब से ये आतंकी सक्रिय हैं और समय-समय पर सुरक्षा बलों से आमना-सामना करते रहते हैं। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने पूरे इलाके में अपने लिए बड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया है।
ठिकाने के लिए ऐसी जगहों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिस पर किसी की नजर नहीं जाती। जांच एजेंसियों को यह भी संदेह है कि इन आतंकियों को स्थानीय स्तर पर रसद, आश्रय और अन्य सामान मुहैया कराया जा रहा है। यही वजह है कि ये इतने लंबे समय से इलाके में सक्रिय हैं। ये आतंकी स्थानीय स्तर पर रसद के लिए मददगारों से सीधे संपर्क नहीं करते। खुफिया एजेंसियां इनके लिए काम करने वाले ओजी वर्करों का भी पता लगाने में दबिश दे रही हैं।