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पहलगाम हमले के बाद अमरनाथ यात्रा पर मंडराया खतरा, गृहमंत्री शाह बोले – सुरक्षा में नहीं छोड़ी जाएगी कोई कसर

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले के बाद राज्य के पर्यटन क्षेत्र को गहरा झटका लगा है। जहां एक ओर घाटी में डर और असुरक्षा का माहौल बन गया है, वहीं दूसरी ओर वार्षिक अमरनाथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं.....
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले के बाद राज्य के पर्यटन क्षेत्र को गहरा झटका लगा है। जहां एक ओर घाटी में डर और असुरक्षा का माहौल बन गया है, वहीं दूसरी ओर वार्षिक अमरनाथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बीच श्रद्धालुओं के मन में हमले के बाद से दहशत साफ देखी जा रही है। इन चिंताओं के बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भरोसा दिलाया है कि सरकार यात्रा के दौरान सुरक्षा और सुविधाओं में कोई कमी नहीं छोड़ेगी।

अमित शाह ने की हाई-लेवल समीक्षा बैठक

गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार रात दिल्ली में एक उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में जम्मू-कश्मीर की मौजूदा सुरक्षा स्थिति और अमरनाथ यात्रा की तैयारियों की समीक्षा की गई। बैठक के बाद शाह ने कहा कि “अमरनाथ तीर्थयात्रियों को सभी आवश्यक सुविधाएं और अभेद्य सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। सुरक्षा बलों को पूरी सतर्कता के साथ ड्यूटी करने के निर्देश दिए गए हैं।” शाह ने यह भी कहा कि सरकार तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए हर संभव कदम उठा रही है ताकि यह पवित्र यात्रा शांतिपूर्वक और बिना किसी व्यवधान के संपन्न हो सके।

एक्स पर अमित शाह का बयान

अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “अमरनाथ तीर्थयात्रा के लिए समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की और तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षा व्यवस्था और तैयारियों का मूल्यांकन किया। अत्यंत सतर्कता बनाए रखने और पवित्र यात्रा को निर्बाध रूप से पूरा करने का निर्देश दिया।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन दोनों मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी भी श्रद्धालु को कोई असुविधा न हो।

अमरनाथ यात्रा के लिए सख्त सुरक्षा इंतजाम

अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की 581 कंपनियों की तैनाती का आदेश दिया है, जिनमें करीब 42,000 जवान शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसार, इनमें से 424 कंपनियों को जम्मू-कश्मीर भेजा जा रहा है, जबकि बाकी कंपनियों को तीर्थ मार्गों और श्रीनगर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए “स्थानांतरित” किया जाएगा। यह व्यवस्था पहले से ही चल रहे ऑपरेशन सिंदूर के अनुभवों के आधार पर और अधिक प्रभावी बनाई जा रही है। यह अमित शाह की ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र शासित प्रदेश की पहली यात्रा भी है।

यात्रा की तारीखें और चुनौतियां

अमरनाथ यात्रा 2025 में 03 जुलाई से शुरू होकर 09 अगस्त को समाप्त होगी। इस बार यात्रा कुल 38 दिनों तक चलेगी, जबकि 2024 में यह यात्रा 52 दिनों तक चली थी। इस बार सुरक्षा के लिहाज से यात्रा बेहद संवेदनशील मानी जा रही है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने राज्य प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी कहा है कि, “इस बार अमरनाथ यात्रा का आयोजन एक चुनौती है, लेकिन सभी आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं ताकि यात्रा बिना किसी बाधा के पूरी की जा सके।”

श्रद्धालुओं के मन में डर, लेकिन श्रद्धा बरकरार

पहलगाम हमले के बाद यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं के बीच डर तो है, लेकिन भक्ति और श्रद्धा में कोई कमी नहीं आई है। अमरनाथ यात्रा के लिए देशभर से रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। प्रशासन की ओर से भी श्रद्धालुओं को यह भरोसा दिलाया जा रहा है कि उन्हें सुरक्षा और सुविधाओं की पूरी व्यवस्था मिलेगी।

निष्कर्ष

पवित्र अमरनाथ यात्रा को लेकर इस बार सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से हाई अलर्ट पर है। पहलगाम हमले के बाद यह यात्रा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारी की कसौटी भी बन चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य प्रशासन की तैयारियों को देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि श्रद्धालुओं की आस्था और सुरक्षा दोनों का पूरा ख्याल रखा जाएगा।

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