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सीवोटर सर्वे : वायु प्रदूषण को लेकर ज्यादा चिंतित ग्रामीण भारतीय

नई दिल्ली, 15 नवंबर (आईएएनएस)। सीवोटर के एक विशेष सर्वे में देश में एक गंभीर मुद्दा बन चुके वायु प्रदूषण के बारे में कई चौंकाने वाली धारणाएं सामने आई हैं। सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले भारतीय "अपने इलाके में" वायु प्रदूषण के बारे में अधिक जागरूक और चिंतित हैं।
सीवोटर सर्वे : वायु प्रदूषण को लेकर ज्यादा चिंतित ग्रामीण भारतीय

नई दिल्ली, 15 नवंबर (आईएएनएस)। सीवोटर के एक विशेष सर्वे में देश में एक गंभीर मुद्दा बन चुके वायु प्रदूषण के बारे में कई चौंकाने वाली धारणाएं सामने आई हैं। सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले भारतीय "अपने इलाके में" वायु प्रदूषण के बारे में अधिक जागरूक और चिंतित हैं।

30.6 प्रतिशत शहरी उत्तरदाताओं की तुलना में लगभग 39.6 प्रतिशत ग्रामीण उत्तरदाताओं का मानना है कि हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' हो गई है।

उन लोगों की प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए जो कह रहे हैं कि हवा की गुणवत्ता 'थोड़ी खराब हो गई है', ग्रामीण क्षेत्रों में 65 प्रतिशत लोगों ने 62 प्रतिशत शहरी उत्तरदाताओं की तुलना में नकारात्मक दृष्टिकोण साझा किया।

14.6 प्रतिशत ग्रामीण उत्तरदाताओं ने 17.6 प्रतिशत शहरी उत्तरदाताओं की तुलना में वायु गुणवत्ता में सुधार की सूचना दी।

कुल मिलाकर लगभग 17.6 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना था कि कोई बदलाव नहीं हुआ है और बाकी ने कोई टिप्पणी नहीं की।

देश के हिंदी भाषी क्षेत्र में 1,803 से अधिक प्रतिभागियों से कराए गए सर्वे में उत्तरदाताओं से पूछा गया - उन्हें क्या लगता है कि उनके आसपास हवा की गुणवत्ता में कितना बदलाव आया है?

उन्हें पांच विकल्प दिए गए - 'बहुत खराब', 'थोड़ा बहुत खराब', 'नहीं बदला है', 'थोड़ा सुधार हुआ' और 'बहुत सुधार हुआ।'

सर्वे यह भी दर्शाता है कि विभिन्न आय श्रेणियों में अलग-अलग धारणाएं हैं और अमीर लोग वायु प्रदूषण को लेकर अधिक चिंतित हैं। उच्च आय स्तर समूह के लगभग 50 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके आसपास हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' हो गई है।

वायु प्रदूषण के बारे में यह बेहद नकारात्मक राय मध्यम आय वर्ग के 39.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं और निम्न आय वर्ग के 30.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने साझा की थी।

कुल मिलाकर, लगभग 64 प्रतिशत या हर तीन में से दो भारतीयों का मानना है कि उनके इलाके में हवा की गुणवत्ता पिछले 10 वर्षों में काफी हद तक खराब हो गई है (शुद्ध नकारात्मक प्रतिक्रिया)।

दरअसल, कई वर्षों से वायु प्रदूषण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। विशेष रूप से उत्तरी भारत में स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभाव को लेकर खतरे की घंटी बज रही है।

दुनिया भर में वायु प्रदूषण पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था आईक्यूएयर के अनुसार, दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 39 भारत में हैं।

सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए ठोस और टिकाऊ कदमों पर विचार करने के लिए तत्काल आधार पर सुनवाई कर रहा है।

--आईएएनएस

एबीएम

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