एम्स बिलासपुर में बाल चिकित्सा क्षेत्र में दो जटिल ऑपरेशन सफल, जान बचाने में मिली बड़ी सफलता

हिमाचल प्रदेश के एम्स बिलासपुर ने बाल चिकित्सा क्षेत्र में दो अत्यंत जटिल और दुर्लभ मामलों के सफल ऑपरेशन किए हैं, जिनमें एक 11 वर्षीय बालिका के फेफड़े से विशाल हाइडेटिड सिस्ट को हटाने और सात महीने के शिशु की जन्मजात डायाफ्रामेटिक हर्निया की आपातकालीन सर्जरी शामिल हैं। इन दोनों ऑपरेशनों में बाल शल्य चिकित्सा, एनेस्थीसिया, क्रिटिकल केयर और पीडियाट्रिक आईसीयू टीमों के सटीक समन्वय और विशेषज्ञता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पहला मामला कुल्लू की रहने वाली 11 साल की बच्ची का था, जिसे सांस लेने में दिक्कत और बुखार की शिकायत के बाद नेरचौक मेडिकल कॉलेज से एम्स बिलासपुर रेफर किया गया था। डॉक्टरों ने जांच के दौरान पाया कि बच्ची के फेफड़े में विशाल हाइडेटिड सिस्ट था, जो उसके फेफड़े के कार्य को प्रभावित कर रहा था। एम्स बिलासपुर के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने इस सिस्ट को सुरक्षित रूप से निकालने के लिए ऑपरेशन किया, और ऑपरेशन सफल रहा। बच्ची की स्थिति अब स्थिर है और वह जल्दी ही पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगी।
दूसरा मामला सात महीने के एक शिशु का था, जिसे जन्मजात डायाफ्रामेटिक हर्निया (पेट और छाती के बीच के दीवार का विकास न होना) के कारण सांस लेने में गंभीर समस्या हो रही थी। इस स्थिति में शिशु का पेट का हिस्सा छाती में घुस जाता है, जिससे फेफड़े ठीक से विकसित नहीं हो पाते। एम्स बिलासपुर की डॉक्टरों की टीम ने इस शिशु की आपातकालीन सर्जरी की, जिसमें शिशु की जान बचाई गई। सर्जरी के बाद शिशु की हालत में सुधार हुआ और उसे अब अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।
इन जटिल मामलों में अस्पताल के चिकित्सक और विशेषज्ञों की टीम का समर्पण और कौशल स्पष्ट रूप से दिखाई दिया, जो ऐसे कठिन चिकित्सा मामलों में जान बचाने में सफल रहे। एम्स बिलासपुर में बाल चिकित्सा विभाग के इस सफल प्रयास ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं हर आयु वर्ग के लिए उपलब्ध हैं।