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मध्य प्रदेश में पदोन्नति पर सस्पेंस, हाई कोर्ट में मंगलवार को अहम सुनवाई

मध्य प्रदेश में पदोन्नति पर सस्पेंस, हाई कोर्ट में मंगलवार को अहम सुनवाई

मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति को लेकर एक बार फिर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सरकार द्वारा लागू किए गए "मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025" के तहत पदोन्नतियां फिलहाल होंगी या नहीं, इसका फैसला मंगलवार को हाई कोर्ट में होने वाली अहम सुनवाई से स्पष्ट हो सकता है।

सरकार रखेगी अपना पक्ष

मंगलवार को होने वाली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार हाई कोर्ट को यह स्पष्ट करेगी कि 2025 के पदोन्नति नियमों में दिया गया आरक्षण स्थायी नहीं, बल्कि यह सशर्त है। यानी पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट में चल रही याचिका पर आने वाले अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी।

सरकार की दलील होगी कि इन नियमों के तहत दी गई पदोन्नति को स्थायी नहीं माना जाएगा, और यदि उच्चतम न्यायालय किसी अलग दिशा-निर्देश या आदेश पर पहुंचता है, तो उस स्थिति में राज्य स्तर पर दी गई पदोन्नतियों को उसी के अनुसार समायोजित किया जाएगा।

क्या है मामला?

मध्य प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर पिछले कई वर्षों से कानूनी लड़ाई चल रही है। इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं लंबित हैं। वहीं, राज्य सरकार ने हाल ही में "मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025" लागू कर दिया है, जिसमें पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण देने का प्रावधान शामिल किया गया है।

इसी नियम को चुनौती देते हुए कई गैर-आरक्षित वर्ग के कर्मचारी संगठनों ने हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं और कहा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक पदोन्नति की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।

कर्मचारी वर्ग की नजरें टिकीं

राज्य के हजारों शासकीय कर्मचारियों की निगाहें अब हाई कोर्ट के रुख पर टिकी हैं।

  • आरक्षित वर्ग के कर्मचारी जहां पदोन्नति की राह खुलने की उम्मीद कर रहे हैं,

  • वहीं गैर-आरक्षित वर्ग इसे संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन मानकर इसका विरोध कर रहा है।

क्या हो सकता है असर?

यदि कोर्ट सरकार की सशर्त पदोन्नति वाली दलील से सहमत होता है, तो नियम 2025 के तहत पदोन्नति प्रक्रिया शुरू हो सकती है। लेकिन यदि कोर्ट को इसमें कोई संवैधानिक या प्रक्रियात्मक त्रुटि लगती है, तो वह या तो आंतरिम रोक लगा सकता है या फिर मामले को विस्तृत सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर सकता है।

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