ग्रामीण विकास विभाग में फर्जी सेंक्शन ऑर्डर जारी करने के मामले में एक और एफआईआर दर्ज की गई है। इस बार मामला विभाग के निदेशक द्वारा स्वयं दर्ज करवाए गए केस से जुड़ा है।
मामले की गंभीरता
सूत्रों के अनुसार, आरोप है कि अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर और फर्जी स्टांप का उपयोग करके टेलीविजन की खरीद और धन की मंजूरी के लिए एक कंपनी के नाम पर कथित रूप से तीन पत्र जारी किए गए।
इस मामले ने विभाग और प्रशासन में सवालों और गंभीर चिंता पैदा कर दी है। अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर और दस्तावेज तैयार करने का आरोप कानूनन गंभीर अपराध माना जा रहा है।
पुलिस की कार्रवाई
इस संबंध में पुलिस ने तुरंत छानबीन शुरू कर दी है। जांच में शामिल है:
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फर्जी दस्तावेजों और पत्रों की सत्यता की पुष्टि
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संदिग्ध अधिकारियों और कर्मचारियों की पहचान और पूछताछ
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धन और खरीदारी की वास्तविकता का परीक्षण
पुलिस अधिकारीयों ने बताया कि मामले की जांच विस्तृत और गहन तरीके से की जा रही है, ताकि सभी जिम्मेदारों तक पहुंचा जा सके।
सरकारी प्रतिक्रिया
ग्रामीण विकास विभाग ने मामले पर गहरी चिंता जताई है। निदेशक ने यह कदम इसलिए उठाया कि सत्य और जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा सके। विभाग का कहना है कि अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा और सभी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
मामले का प्रभाव
फर्जी सेंक्शन ऑर्डर और दस्तावेज तैयार करने के आरोप ने सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर भरोसे को चोट पहुंचाई है। यह मामला विभागीय पारदर्शिता और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर भी प्रश्न खड़ा करता है।

