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हिमाचल में भारी बारिश के बाद किन्नौर के NH5 पर भूस्खलन! दोनों ओर फंसे सैकड़ों वाहन, VIDEO देख कांप जाएगा दिल 

हिमाचल में भारी बारिश के बाद किन्नौर के NH5 पर भूस्खलन! दोनों ओर फंसे सैकड़ों वाहन, VIDEO देख कांप जाएगा दिल 

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में रविवार को एक बड़ा लैंडस्लाइड हुआ, जिससे नेशनल हाईवे-5 (NH5) पर आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया। भारी बारिश के कारण हुए इस भूस्खलन ने सड़क पर पत्थरों और मलबे का ढेर लगा दिया, जिससे दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। हादसे के बाद स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन की टीम राहत और मलबा हटाने के काम में जुट गई है, लेकिन खराब मौसम और लगातार गिरते पत्थरों के चलते कार्य में दिक्कतें आ रही हैं।


किन्नौर जिले का NH5 क्षेत्रफल और यातायात के लिहाज से एक महत्वपूर्ण मार्ग है, जो हिमाचल को शिमला होते हुए किन्नौर, कल्पा और आगे चीन सीमा तक जोड़ता है। यह रास्ता न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि पर्यटकों और व्यापारियों के लिए भी प्रमुख मार्गों में गिना जाता है। ऐसे में भूस्खलन की इस घटना ने यात्रियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अचानक तेज़ बारिश के बीच पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा गिरने लगा। देखते ही देखते सड़क पर बोल्डर और पत्थरों का अंबार लग गया। कुछ वाहन इसके काफी करीब थे, लेकिन गनीमत यह रही कि किसी भी जान-माल के नुकसान की खबर फिलहाल नहीं मिली है। हालाँकि, कई यात्री और वाहन घंटों तक फंसे रहे, जिनमें बुजुर्ग, महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल हैं।

स्थानीय प्रशासन ने तत्काल सुरक्षा के मद्देनज़र सड़क को पूरी तरह बंद कर दिया है और लोगों को वैकल्पिक मार्ग अपनाने की सलाह दी है। वहीं, यातायात पुलिस द्वारा कई किलोमीटर पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर ट्रैफिक को रोका गया है, जिससे नए वाहन इस प्रभावित क्षेत्र में न पहुंच सकें। एनएच अथॉरिटी और BRO की टीम जेसीबी और अन्य भारी मशीनों की मदद से मलबा हटाने का प्रयास कर रही है, लेकिन बारिश की वजह से मिट्टी नमी से भारी हो गई है, जिससे हटाने में ज्यादा समय लग रहा है।

हिमाचल प्रदेश में इस मानसूनी सीजन में भूस्खलन की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार हो रहे निर्माण कार्य, पहाड़ियों की कटाई और अनियंत्रित पर्यटन से इस तरह की घटनाओं में इजाफा हुआ है। इससे पहले भी कुल्लू, मंडी और चंबा में ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है।

प्रशासन द्वारा राहत-बचाव कार्य जारी है और पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। जिला उपायुक्त ने जानकारी दी कि एनएच-5 को जल्द से जल्द साफ कर फिर से चालू करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसके लिए मौसम का सामान्य होना आवश्यक है। साथ ही, फंसे यात्रियों को अस्थायी राहत शिविरों में भोजन और प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है।

इस बीच, पर्यावरणविदों ने फिर से राज्य सरकार को चेताया है कि हिमालयी क्षेत्रों में अत्यधिक निर्माण और पेड़ों की कटाई से पर्यावरणीय असंतुलन गहराता जा रहा है। उनका कहना है कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य भविष्य में और भी गंभीर प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सकते हैं।

NH5 पर हुए इस लैंडस्लाइड ने एक बार फिर पहाड़ी इलाकों में यात्रा करते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। प्रशासन और मौसम विभाग की एडवाइजरी का पालन करना और मानसून के दौरान यात्रा को लेकर सतर्क रहना ही सबसे अच्छा उपाय है।

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