मंडी में बादल फटने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हुई, 29 लापता लोगों की तलाश जारी

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में 30 जून से शुरू हुई भारी बारिश, भूस्खलन और नदियों के उफान ने पूरे क्षेत्र में तबाही मचा दी है। जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 1 जुलाई तक हुई घटनाओं में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 29 लोग लापता हैं और 154 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है। भारी प्राकृतिक आपदा से कुल 148 मकान, 104 गोशालाएं और 162 पशु भी मृत पाए गए हैं।
मंडी जिले के विभिन्न उपमंडलों में व्यापक नुकसान
मंडी जिले के 12 उपमंडलों में भारी नुकसान हुआ है, जिनमें थुनाग, करसोग, जोगिंद्रनगर, धर्मपुर और गोहर प्रमुख हैं।
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मंडी सदर उपमंडल: रघुनाथ का पधर, DIET मंडी, इंदिरा कॉलोनी और टारना क्षेत्र में 68 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। हालांकि, यहां एक गोशाला क्षतिग्रस्त हुई है। राहत शिविरों में मंडी गुरुद्वारा में 22 और भ्यूली के विपाशा सदन में 21 लोग शरण लिए हुए हैं।
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थुनाग उपमंडल: सबसे ज्यादा नुकसान यहीं हुआ है। यहां 1 मौत, 11 लोग लापता और लगभग 40 मकान, 30 वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अलावा 6 पुल टूट गए हैं। प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में 120 और GPS थुनाग में 80 लोगों के रहने का इंतजाम किया है। वायुसेना ने दो गर्भवती महिलाओं को हेलिकॉप्टर से सुरक्षित बाहर निकाला है।
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करसोग उपमंडल: यहां दो मौतें हुई हैं और बुधवार को 30 से ज्यादा लोगों को बचाया गया। 27 मकान, 9 गोशालाएं ध्वस्त हो गई हैं और 19 पशु भी मारे गए हैं। एक छोटी पुलिया भी टूट गई है। प्रशासन ने प्रभावितों को ₹1,23,000 की राहत राशि प्रदान की है।
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जोगिंद्रनगर उपमंडल: नेरी कोटला क्षेत्र के सियूं से दो शव बरामद हुए हैं। बचाव अभियान अभी जारी है।
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धर्मपुर उपमंडल: लौंगणी पंचायत के स्याठी गांव में 17 परिवारों को सुरक्षित निकाला गया है। यहां 26 मकान, 31 गोशालाएं और 76 पशु भी प्रभावित हुए हैं। कांढापतन में लोहे का पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। त्रियाम्बला मंदिर और नयना देवी मंदिर में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां 61 लोग ठहरे हुए हैं।
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गोहर क्षेत्र: सियूं और बड़ा गांव में 6 मौतें हुई हैं, जबकि एक व्यक्ति अभी भी लापता है। बुधवार को यहां 29 लोगों को बचाया गया। इस क्षेत्र में 18 मकान और 19 गोशालाएं भी तबाह हो गई हैं। बड़ा गांव के IPH विश्रामगृह में 42 लोगों के ठहरने का इंतजाम किया गया है।
प्रशासन और राहत कार्य
मंडी आपदा प्रबंधन विभाग ने लगातार स्थिति का आकलन करते हुए प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य को तेज कर दिया है। प्रशासन की ओर से सुरक्षित स्थानों पर राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां प्रभावितों को भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही सरकारी और गैर-सरकारी संगठन भी राहत कार्यों में सहयोग कर रहे हैं।
राहत सामग्री और जरूरी संसाधनों की आपूर्ति प्रभावित इलाकों तक पहुंचाने के लिए सड़क मार्ग बाधित होने के बावजूद helipad और वायुसेना की मदद ली जा रही है। स्थानीय प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना के जवान प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को निकालने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं।
भविष्य की चेतावनी
शिमला मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक सन्दीप कुमार ने बताया है कि हिमाचल प्रदेश में 6 जुलाई तक भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी है। खासकर मंडी, कांगड़ा, शिमला और सोलन जिलों में अत्यधिक बारिश हो सकती है, जिसके कारण और भूस्खलन, बाढ़ की घटनाएं हो सकती हैं। इसलिए प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने, अनावश्यक यात्रा न करने और सुरक्षा के उपाय अपनाने की अपील की है।