सड़क पर आदमी, कंधों पर गाड़ी… तीर्थन घाटी में प्रशासनिक अनदेखी के खिलाफ अनोखा विरोध
“सड़क पर आदमी, कंधों पर गाड़ी”—यह दृश्य किसी फिल्म का नहीं, बल्कि तीर्थन घाटी की हकीकत है, जहां प्रशासनिक उदासीनता से त्रस्त लोगों ने सिस्टम को आईना दिखाने का अनोखा तरीका अपनाया।
मामला बंजार की तीर्थन घाटी स्थित कलवारी पंचायत का है। यहां गलवाहधार–रंभी सड़क आपदा के बाद पिछले चार महीनों से जमद क्षेत्र से आगे पूरी तरह बंद पड़ी है। सड़क बहाल करने को लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगाई, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला।
जब हर दरवाजा खटखटाने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला, तो ग्रामीणों ने मजबूरी में असाधारण कदम उठाया। लोगों ने अपनी गाड़ी को खोल-खोलकर उसके पुर्जे कंधों पर उठाए और कई किलोमीटर दूर उस स्थान तक पहुंचाया, जहां सड़क वाहन चलने योग्य थी। इसके बाद वहां जाकर गाड़ी को दोबारा जोड़ा गया।
इस अनूठे और दर्दनाक दृश्य ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को झकझोर दिया, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क बंद होने से बीमारों को अस्पताल ले जाना, बच्चों का स्कूल जाना और रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना बेहद मुश्किल हो गया है।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि आपदा के चार महीने बीत जाने के बावजूद न तो स्थायी मरम्मत की गई और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई। पर्यटन क्षेत्र होने के बावजूद तीर्थन घाटी की अनदेखी से यहां के लोगों में भारी आक्रोश है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सड़क बहाल नहीं की गई, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे। वहीं, इस घटना का वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जो सिस्टम की संवेदनहीनता की कहानी खुद बयां कर रही हैं।
यह मामला केवल एक सड़क का नहीं, बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की बदहाली और प्रशासनिक उदासीनता का आईना बन गया है।

