26 साल पहले आज ही के दिन भारत ने कारगिल की ऊँचाइयों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों को पराजित कर ऐतिहासिक विजय हासिल की थी। कारगिल विजय दिवस पर पूरा देश उन शहीदों को नमन कर रहा है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। इस युद्ध में हिमाचल प्रदेश के 52 वीर सपूतों ने भी अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
कैप्टन विक्रम बतरा और सूबेदार मेजर संजय कुमार जैसे वीरों ने न सिर्फ शौर्य की नई मिसाल पेश की, बल्कि परमवीर चक्र जैसे सर्वोच्च सैन्य सम्मान हासिल कर हिमाचल को गौरवान्वित किया। विक्रम बतरा की “यह दिल मांगे मोर” जैसी गूंज आज भी हर देशवासी के दिल में जोश भर देती है।
आज हिमाचल की वीर भूमि से निकले उन शहीदों के बेटे भी सरहदों पर तैनात हैं और देश की सुरक्षा में जुटे हैं। कई वीर नारियों ने अपने पतियों की शहादत के बाद अपने बेटों को भी सेना में भेजा, ताकि देश सेवा की यह परंपरा बनी रहे। जिन गांवों ने अपने लाल खोए, वहीं से प्रेरित होकर नई पीढ़ी भी सेना में भर्ती हो रही है।
कारगिल विजय दिवस पर हिमाचल के इन वीरों के साहस, बलिदान और देशभक्ति को सलाम। यह जज्बा न तब कम था, न आज है। यह पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता रहेगा — वतन के लिए जीने और मरने का अदम्य संकल्प लेकर।

