संज्ञान कार्यवाही वापस ली, क्योंकि अधिकारी ने दावा किया कि परियोजना स्थल अरावली में नहीं
एक रियल एस्टेट परियोजना के लिए लगभग 2,000 पेड़ों की कथित कटाई पर द ट्रिब्यून की एक समाचार रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लेने के एक महीने से भी कम समय बाद, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आगे की कार्यवाही रोक दी है। न्यायालय को बताया गया है कि जिन पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी, उनमें से कोई भी अरावली पहाड़ियों में स्थित नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा कि कोई भी खसरा संख्या, जिसके संबंध में प्रतिवादी डीएलएफ को पेड़ काटने की अनुमति दी गई थी, अरावली क्षेत्र में नहीं आती। पीठ ने कहा, "विपरीत किसी भी तथ्य के अभाव में, इस न्यायालय को गुरुग्राम के उप वन संरक्षक द्वारा शपथपूर्वक दिए गए बयान और उसकी विषयवस्तु पर निर्भर रहना होगा।"
पीठ की ओर से बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश नागू ने कहा, "चूँकि प्रतिवादी डीएलएफ को जिन खसरा संख्याओं के संबंध में पेड़ काटने की अनुमति दी गई है, उनमें से कोई भी अरावली पहाड़ियों में नहीं आती है, इसलिए यह न्यायालय इस मामले को आगे बढ़ाना उचित नहीं समझता।" अदालत ने इससे पहले 12 जून को प्रकाशित समाचार ‘डीएलएफ परियोजना से अरावली में आक्रोश, कार्यकर्ताओं ने मंत्री के घर के बाहर प्रदर्शन किया’ का संज्ञान लिया था।

